आपदा से निपटने की तैयारी पर जोर : राजकीय मध्य विद्यालय तेतरिया में सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम आयोजित

पूर्वी चंपारण, तेतरिया। मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय मध्य विद्यालय तेतरिया में शनिवार, 23 अगस्त 2025 को सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नाव दुर्घटना एवं पानी में डूबने से बचाव के उपायों पर विशेष चर्चा हुई। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों एवं ग्रामीणों को आपातकालीन परिस्थितियों से सुरक्षित रहने के प्रति जागरूक करना था।
स्थानीय संसाधनों से जीवन रक्षा के उपाय
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने विस्तार से बताया कि नाव दुर्घटना अथवा पानी में डूबने की स्थिति में घबराने के बजाय स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके जीवन रक्षा की जा सकती है। साड़ी, धोती, रस्सी, बाँस, लता आदि साधारण सामग्री आपात स्थिति में जीवन रक्षक के रूप में काम आ सकती हैं। बच्चों को यह भी बताया गया कि सामूहिक सहयोग और सूझबूझ से बड़ी से बड़ी आपदा से बचा जा सकता है।
नाव दुर्घटना से बचाव के उपाय
शिक्षकों ने उपस्थित बच्चों और ग्रामीणों को नाव यात्रा के समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमेशा पंजीकृत नाव का ही उपयोग करें और ओवरलोडेड नाव से बचें। खराब मौसम, तेज हवा या आंधी-तूफान की स्थिति में नाव यात्रा नहीं करनी चाहिए। साथ ही, जर्जर एवं टूटे-फूटे नाव का उपयोग करना खतरनाक है।
शिक्षकों ने बच्चों को यह भी समझाया कि सूर्योदय से पहले एवं सूर्यास्त के बाद नाव यात्रा से परहेज करें। छोटे बच्चों को अकेले नाव पर न बैठाएँ और चढ़ने-उतरने के समय धैर्य एवं सावधानी बरतें। नाव पर बैठे समय जल्दबाजी या शोरगुल से असंतुलन हो सकता है, इसलिए शांत एवं संतुलित रहना आवश्यक है।
सामूहिक सहभागिता
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक ब्रजेश कुमार के साथ वरीय शिक्षक अब्दुल कलाम, रवि भूषण, निधि कुमारी, किरण कुमारी, ज्योति किरण और सरवर हुसैन सहित अन्य शिक्षक मौजूद रहे। कार्यक्रम में बाल संसद, मीना मंच, इको क्लब एवं आपदा प्रबंधन समिति के सदस्यों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। सभी ने मिलकर विद्यार्थियों को व्यावहारिक जानकारी देने के साथ आपदा से निपटने के लिए जागरूकता का संदेश दिया।
कार्यक्रम के अंत में यह संदेश दिया गया कि “आपदा भारी नहीं होती, यदि तैयारी पूरी हो”। विद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम से बच्चों और ग्रामीणों को सुरक्षा संबंधी व्यवहारिक शिक्षा मिली, जो भविष्य में किसी भी आपदा से बचाव में सहायक सिद्ध होगी।


