पुस्तक प्रदर्शनी, विचार गोष्ठी और पुस्तकों के विमोचन के साथ साहित्य-संस्कृति का संगम
गहमर। सैनिकों की उर्वरा भूमि गहमर में 11वें गोपालराम गहमरी साहित्य व कला महोत्सव का शुभारंभ भव्य और उल्लासपूर्ण वातावरण में हुआ। इस महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से आए साहित्यकारों, कलाकारों और कला प्रेमियों ने सहभागिता कर गहमर को साहित्यिक चेतना का केंद्र बना दिया। महोत्सव का विधिवत उद्घाटन गहमर ग्राम प्रधान द्वारा मां शारदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
उद्घाटन अवसर पर महोत्सव परिसर में लगी पुस्तक प्रदर्शनी का भी उन्होंने अवलोकन किया। इस दौरान साहित्य, कला और संस्कृति के प्रति गहरी रुचि देखने को मिली। आयोजक अखंड गहमरी ने बताया कि महोत्सव को विभिन्न सत्रों में विभाजित कर आयोजित किया गया, जिससे सभी साहित्यकारों और कलाकारों को अपनी बात रखने का अवसर मिल सके।
प्रथम सत्र : स्वागत और उद्घाटन
प्रथम सत्र में देशभर से पधारे साहित्यकारों और कलाकारों का स्वागत किया गया तथा महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन हुआ। इस सत्र में साहित्य और कला के महत्व पर चर्चा हुई और गहमर की साहित्यिक परंपरा को याद किया गया।
द्वितीय सत्र : परिचय और कला साधना
भोजनोपरांत आयोजित दूसरे सत्र में सभी साहित्यकारों और कलाकारों ने अपना परिचय देते हुए अपनी कला साधना, लेखन शैली और रचनात्मक यात्रा के अनुभव साझा किए। इस सत्र में विभिन्न विधाओं—कविता, कहानी, संगीत, चित्रकला और फोटोग्राफी—पर सार्थक संवाद हुआ।
तृतीय सत्र : ‘मन की बात’ और विचार गोष्ठी
तीसरे चरण में “मन की बात” सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें साहित्यकारों ने हृदय के उद्गार व्यक्त किए। धर्मेंद्र गहमरी ने बेहतर स्वास्थ्य और संतुलित दिनचर्या पर प्रकाश डाला। मैहर से पधारी रश्मि श्रीवास्तव ‘योग रश्मि’ ने शिक्षा नीतियों में हो रहे बदलावों को बच्चों के हित के विपरीत बताया। मंजू श्रीवास्तव ने फोटोग्राफी की विशेष तकनीकों और उसके महत्व पर विचार रखे।
छत्तीसगढ़ के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित संजय मैथिल ने जीवन में संगीत और संगति के महत्व को रेखांकित किया। हाथरस की महिला किसान एवं साहित्यकार संतोष शर्मा ‘शान’ ने कहा कि परिवार संभालते हुए किसान जीवन और साहित्य लेखन करना आसान नहीं, लेकिन नारी में निर्माण और विनाश—दोनों की शक्ति है। ज्योति किरण रतन के सशक्त मंच संचालन में श्री पाल शर्मा ने सर्वहितकारी लेखनी पर जोर दिया।
भगवती प्रसाद मिश्र ‘बेधड़क’, नंदलाल त्रिपाठी, डॉ. प्रेम शंकर द्विवेदी ‘भास्कर’, प्राची खंडेलवाल ने जीवन में धन संचय के महत्व पर विचार रखे। डॉ. नवीन मौर्या ‘फायर बनारसी’ ने चिकित्सकीय मनमानी पर सवाल उठाए। कौशल किशोर, ज्योति कुशवाहा, विनय दूबे, रमा शुक्ला ‘सखी’, सुनील दत्त मिश्र, कमलेंद्र शुक्ल ‘दुर्वासा’, ओमजी मिश्र सहित अनेक साहित्यकारों ने भी अपने विचार साझा किए।
सायंकालीन सत्र : पुस्तकों का विमोचन
सायंकालीन सत्र में साहित्यिक गरिमा के बीच कई पुस्तकों का विमोचन किया गया। इनमें भगवती प्रसाद मिश्र ‘बेधड़क’ की “बेधड़क हुंडलियां”, अखंड गहमरी की “मन का मुसाफिर”, शिवानंद चौबे की “गीताभावानुवाद”, प्रतिमा की “नव पल्लव : एक नया सवेरा” तथा डॉ. प्रेम शंकर द्विवेदी ‘भास्कर’ (जौनपुर) की पुस्तक “साक्षी” शामिल रहीं। महोत्सव ने गहमर को एक बार फिर साहित्य और कला की राष्ट्रीय पहचान दिलाते हुए रचनात्मक संवाद का सशक्त मंच प्रदान किया।