पूर्णिया। प्राथमिक विद्यालय पार्षद टोला मजगामा, कस्बा की प्रधान शिक्षिका एवं राजकीय शिक्षक सम्मान प्राप्त ज्योति कुमारी ने कहा कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कारों का होना भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “शिक्षा मनुष्य को बुद्धिमान बनाती है, जबकि संस्कार उसे सच्चा और श्रेष्ठ इंसान बनाते हैं।”
ज्योति कुमारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि शिक्षा हमें सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है, लेकिन संस्कार यह सिखाते हैं कि उस बुद्धि का उपयोग समाज और मानवता के कल्याण के लिए कैसे किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति उच्च शिक्षित होकर भी अपने माता-पिता, गुरुजनों और समाज का आदर नहीं करता, तो उसकी शिक्षा अधूरी है।
उन्होंने कहा कि हमारे भारतीय समाज में संस्कारों की जड़ें बहुत गहरी हैं। बड़ों का सम्मान करना, ईमानदारी, करुणा, सत्य और सहनशीलता जैसे गुण व्यक्ति को समाज का आदर्श नागरिक बनाते हैं। संस्कार से ही व्यक्ति में नम्रता और संवेदनशीलता आती है, जो सच्चे ज्ञान का लक्षण है।
प्रधान शिक्षिका ने कहा कि आधुनिकता और तकनीकी प्रगति के इस युग में यह और भी जरूरी हो गया है कि हम अपने बच्चों को केवल किताबों का ज्ञान न दें, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्य और अच्छे संस्कार भी सिखाएँ। क्योंकि शिक्षा हमें सफलता देती है, लेकिन संस्कार हमें सच्चा इंसान बनाते हैं। उन्होंने अंत में कहा — “शिक्षा से बुद्धि बढ़ती है, संस्कार से व्यक्ति बढ़ता है। शिक्षा का प्रकाश और संस्कारों की सुगंध — दोनों ही सच्चे विकास की पहचान हैं।”