हर्षोल्लास और भक्ति भाव से सम्पन्न हुआ चित्रगुप्त पूजा समारोह
बंजरिया। शुक्रवार को बंजरिया प्रखंड के सेमरा स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में चित्रांश समाज द्वारा पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ भगवान चित्रगुप्त पूजा का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर बेलवा पंचायत, सेमरा खास और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में चित्रांश परिवार के लोग शामिल हुए। पूजा स्थल को फूलों, झालरों और रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया गया था, जिससे पूरा परिसर भक्ति और उमंग से सराबोर दिखाई दे रहा था।
चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से कलम, दवात और बही-खातों की पूजा-अर्चना की। यह परंपरा इस विश्वास के साथ निभाई जाती है कि भगवान चित्रगुप्त, जो कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाले देवता हैं, उनके पूजन से विद्या, बुद्धि, लेखन-कला और व्यवसाय में उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपने शरीर से चित्रगुप्त जी की रचना की थी ताकि वे सृष्टि के सभी जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रख सकें।
पूजा के दौरान पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान चित्रगुप्त का आह्वान किया। श्रद्धालुओं ने परिवार सहित पूजा में भाग लिया और पूरे मनोयोग से आराधना की। पूजा के उपरांत भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया, जिससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हुई।
रात्रि में आयोजित भाई-भोज कार्यक्रम में समाज के सैकड़ों लोग एकत्र हुए। सभी ने मिलकर भोजन किया और भाईचारे, प्रेम और एकता का संदेश दिया। यह कार्यक्रम सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया, जहां हर वर्ग और आयु के लोगों ने एक साथ मिलकर त्योहार की खुशी साझा की।
पूजा आयोजन समिति के सदस्यों — शशि रंजन कुमार, निखिल कुमार, दीपक श्रीवास्तव, संजीव कुमार बबलू, पप्पू श्रीवास्तव, गुड्डू श्रीवास्तव, विरेंद्र श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, चंदन श्रीवास्तव, भूषण श्रीवास्तव, वैभव श्रीवास्तव, मुकेश श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव, उज्ज्वल, आशिष सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
समारोह में उपस्थित लोगों ने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में एकता, सद्भाव और सांस्कृतिक चेतना का संचार होता है। भगवान चित्रगुप्त की आराधना से आत्म-अनुशासन और कर्म के प्रति निष्ठा की भावना विकसित होती है।
अंत में आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में भी इस परंपरा को और भव्य रूप से मनाया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी अपने संस्कृति और परंपरा से जुड़ी रहे।