‘मधुबनी। प्रखंड कालुआही स्थित उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय मलमल में शुक्रवार को राष्ट्रगान समान महत्व रखने वाले राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम् का गायन किया, जिससे विद्यालय परिसर देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हो उठा।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाध्यापक के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह गीत बंगाल के प्रसिद्ध साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘आनंद मठ’ पुस्तक से लिया गया है। यह गीत केवल एक रचना नहीं, बल्कि भारत की आज़ादी की लड़ाई के समय राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा का स्रोत बना था।
शिक्षकगणों ने बताया कि ‘वंदे मातरम्’ का अर्थ “मां, मैं तेरी वंदना करता हूं” है, जो हमारी मातृभूमि भारत के प्रति श्रद्धा, समर्पण और एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज जब देश विविधता में एकता की मिसाल पेश कर रहा है, तब ऐसे अवसर हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों और बलिदान की भावना को याद करने का अवसर प्रदान करते हैं।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने स्वरबद्ध गायन के साथ-साथ वंदे मातरम् की भावार्थ व्याख्या प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने गीत के हर शब्द में निहित राष्ट्रप्रेम की भावना को दर्शाया। बच्चों की एक स्वर में उठी आवाज़ ने पूरे वातावरण को देशभक्ति से भर दिया। कार्यक्रम में शिक्षिकाओं ने भी बच्चों को गीत के ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व से परिचित कराया।
प्रधानाध्यापक ने कहा कि इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने का आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक अवसर है कि हम अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठा, समर्पण और कृतज्ञता को पुनः जाग्रत करें। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ भारत की आत्मा का प्रतीक है, जो हमें एकता, त्याग और देशसेवा की राह दिखाता है।
कार्यक्रम के अंत में सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों ने संकल्प लिया कि वे देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में सदैव अग्रणी रहेंगे। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में “वंदे मातरम् अमर रहे” और “भारत माता की जय” के नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा।