डुमरांव. अनुसूचित जाति, जन जाति, अति पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग को आरक्षण सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर मिल रहा है,. साथ ही सामान्य वर्ग को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण मिल रहा है, इसे कोई भी सरकार समाप्त नहीं कर सकती है.
उक्त बातें जदयू नेता नथुनी प्रसाद खरवार सदस्य, प्रदेश राजनैतिक सलाहकार समिति जदयू बिहार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कंही. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इडब्लूएस को 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में लागू किया. कांग्रेस ने कभी भी सामान्य वर्ग के गरीबों पर ध्यान नहीं दिया.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को भी संवैधानिक दर्जा नहीं दिया. जबकि एनडीए की सरकार में उक्त वर्ग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ. बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराकर आरक्षण बढ़ोतरी करने का कार्य किया. राजद की सरकार में 2001 में ग्राम पंचायत एवं 2002 में नगर निकाय का चुनाव कराया गया.
लेकिन अति पिछड़ा वर्ग एवं महिला वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया, जबकि 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनते ही 2006 में पंचायत चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग को 20 प्रतिशत एवं महिला वर्ग को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया. महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण,
इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की पढ़ाई में 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया. लेकिन विपक्ष आरक्षण समाप्त होने का भय दिखाकर आरक्षित वर्ग को वोट के लिए गुमराह कर रहा है. आज कांग्रेस सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने की बात कर रही है, जबकि अपने लंबे शासनकाल में जातिगत जनगणना नहीं कराया.