शिक्षिका नीलम कुमारी के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने प्रस्तुत की सांस्कृतिक झलकियाँ, शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सराहा उत्साह
गोरौल, वैशाली। राजकीय मध्य विद्यालय आदमपुर में दीपावली के पूर्व विद्यालय परिसर में आयोजित छठ पूजा थीम आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सभी का मन मोह लिया। शिक्षिका नीलम कुमारी के नेतृत्व में विद्यालय के विद्यार्थियों ने पारंपरिक लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ की भावनात्मक झलक प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में बच्चों ने गीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से सूर्य उपासना, प्रकृति सम्मान और लोक संस्कृति के महत्व को खूबसूरती से दर्शाया।
लोक आस्था और परंपरा का समागम
विद्यालय परिसर में दीपावली की रौनक के साथ छठ पूजा का अद्भुत संगम देखने को मिला। विद्यार्थियों ने मिट्टी के घाट, बांस की टोकरी, नारियल, सुप और दीये के माध्यम से छठ पूजा का वास्तविक वातावरण तैयार किया। “कांचे ही बांस के बहंगिया” और “उग हे सूरज देव” जैसे पारंपरिक गीतों की मधुर ध्वनि से पूरा विद्यालय प्रांगण भक्तिमय हो उठा।
शिक्षिका नीलम कुमारी ने बताया कि बच्चों को न केवल शिक्षा बल्कि भारतीय संस्कृति से जोड़ना भी विद्यालय की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि छठ पूजा लोक जीवन की सरलता, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक है, जिसे नई पीढ़ी को समझना आवश्यक है।
शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी और मार्गदर्शन
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक शशि भूषण कुमार झा ने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करते हैं। उन्होंने कहा, “बच्चे जब अपनी संस्कृति को व्यवहार में उतारते हैं, तभी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है।”
कार्यक्रम में शिक्षकों मालती दास, बलराम सिंह, मंजय कुमार, किरण कुमारी, चंद्र भूषण पांडेय और दिवाकर कुमार ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। सभी ने मिलकर बच्चों को सजावट, गायन, नृत्य और संवाद प्रस्तुति के लिए तैयार किया। शिक्षकों की टीम भावना और समर्पण ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
बच्चों की प्रस्तुति ने जीता सबका दिल
विद्यालय के बच्चों ने छठी मइया के गीतों पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया, जबकि कुछ विद्यार्थियों ने छठ व्रत की कथा को नाट्य रूपांतरण के माध्यम से दर्शाया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का उत्साहवर्धन किया। विद्यालय के प्रांगण में दीपों की झिलमिलाहट और भक्ति संगीत के बीच बच्चों की प्रस्तुति ने छठ पर्व की पवित्रता को जीवंत कर दिया।
सांस्कृतिक चेतना के प्रसार का माध्यम
यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं था, बल्कि परंपरा और आस्था के संगम का जीवंत उदाहरण था। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि ऐसे आयोजन से विद्यार्थियों में न केवल रचनात्मकता विकसित होती है, बल्कि अपने समाज और संस्कृति के प्रति सम्मान भी बढ़ता है।
प्रधानाध्यापक शशि भूषण झा ने अंत में सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं और बच्चों को धन्यवाद देते हुए कहा कि “हमारी संस्कृति हमारी पहचान है — इसे बच्चों तक पहुंचाना ही शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य है।”
राजकीय मध्य विद्यालय आदमपुर का यह आयोजन दीपावली पूर्व लोक आस्था के पर्व छठ को समर्पित था, जिसने न केवल विद्यालय को उजाला किया बल्कि संस्कृति और शिक्षा का सुंदर संगम भी प्रस्तुत किया। बच्चों की सृजनशीलता और शिक्षकों का मार्गदर्शन इस आयोजन की असली पहचान बन गया।

