बच्चियों की सुविधा के लिए यूनिफॉर्म में किया गया बदलाव
डुमरा (सीतामढ़ी)। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय मिल टोला, वार्ड संख्या 11, डुमरा में शनिवार को चेतना सत्र के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। विद्यालय परिसर बच्चियों के उत्साह और आत्मविश्वास से भर गया। इस अवसर पर प्रधान शिक्षिका ज्योति गौतम ने बालिकाओं को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और शिक्षा के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
प्रधान शिक्षिका ने कहा कि बालिका सशक्तिकरण का अर्थ है, उन्हें शिक्षा, सुरक्षा और समान अवसर प्रदान करना। चेतना सत्र के दौरान बच्चियों से चर्चा करते हुए उन्होंने उनके सपनों और भविष्य की योजनाओं को साझा करने को कहा। बच्चियों ने उत्साहपूर्वक बताया कि वे आगे चलकर डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, फौजी और टीचर बनना चाहती हैं।
प्रधान शिक्षिका ज्योति गौतम ने विद्यालय में आने वाली बच्चियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक सराहनीय कदम भी उठाया। उन्होंने परसों के चेतना सत्र में घोषणा की थी कि बच्चियों को स्कर्ट की परेशानी से बचाने के लिए यूनिफॉर्म के रूप में पैंट-शर्ट या सलवार-कमीज पहनने की अनुमति दी जाएगी, जैसा कि केन्द्रीय विद्यालय (KV), DAV और उर्दू स्कूलों में पहले से होता है। इस पहल का उद्देश्य बच्चियों को अधिक सुविधा, आत्मविश्वास और सहजता प्रदान करना है।
इस पहल का परिणाम आज देखने को मिला, जब वर्ग 4 की छात्रा मेघा कुमारी पैंट-शर्ट यूनिफॉर्म में विद्यालय पहुंची। उसकी यह पहल अन्य बच्चियों के लिए प्रेरणा बन गई। प्रधान शिक्षिका ने उसकी सराहना करते हुए कहा कि “मेघा जैसी बच्चियां बदलाव की मिसाल हैं, जो अपनी सुविधा और आत्म-सम्मान दोनों का ध्यान रखती हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर विद्यालय में अक्टूबर महीने में नियमित रूप से विद्यालय आने वाली बच्चियों को पुरस्कृत भी किया गया। वर्ग 1 से निधि कुमारी, वर्ग 2 से नानीन कुमारी, वर्ग 3 से प्रियंका कुमारी और वर्ग 5 से अमृता कुमारी को बधाई एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के साथ “सुरक्षित शनिवार” और “बैगलेस डे” भी मनाया गया, जिसमें छात्राओं ने खेल-कूद, गीत और कहानी सत्र में भाग लेकर खूब आनंद लिया।
प्रधान शिक्षिका ने कहा कि विद्यालय का लक्ष्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चियों को आत्मनिर्भर, जागरूक और सशक्त बनाना है। उन्होंने सभी से अपील की कि बालिकाओं को समान अवसर और सम्मान देना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।