पटना। सीतामढ़ी जिले के शिक्षक-शिक्षिकाओं की रचनात्मक प्रतिभा ने बापू टावर संग्रहालय, पटना के सभागार में आयोजित “सृजन संवाद” कार्यक्रम के माध्यम से एक नई पहचान बनाई। शिक्षकों के भीतर छिपी लेखन क्षमता को मंच देने और साहित्यिक अभिव्यक्ति को सशक्त करने के उद्देश्य से मध्य विद्यालय मलहाटोल, परिहार की शिक्षिका प्रियंका कुमारी द्वारा संचालित सृजनात्मक पहल के अंतर्गत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अवसर था नवीन पुस्तक “अम्मा” के विधिवत लोकार्पण का।
ई-शिक्षा से अम्मा तक : सृजन यात्रा की निरंतरता
प्रियंका कुमारी की यह पहल वर्ष 2022 में ई-शिक्षा ई-पत्रिका के प्रकाशन से प्रारंभ हुई, जो 2023 में जानकी की डायरी, 2024 में शिक्षकों की कलम से और 2025 में अम्मा पुस्तक के प्रकाशन तक निरंतर आगे बढ़ती रही। इन सभी कृतियों में सीतामढ़ी जिले के शिक्षक-शिक्षिकाओं की सक्रिय सहभागिता रही, जिसने इस सृजन यात्रा को सामूहिक स्वरूप प्रदान किया।
सम्मान, संवाद और साहित्यिक संकल्प
कार्यक्रम का उद्घाटन बापू टावर संग्रहालय के निदेशक विनय कुमार, उपनिदेशक ललित सिंह, ई-शिक्षा की संपादक प्रियंका कुमारी, सह-संपादक अभिषेक वर्मा सहित टीम के अन्य सदस्यों ने संयुक्त रूप से किया। मंच संचालन अभिषेक वर्मा ने किया, जबकि विषय प्रवेश प्रियंका कुमारी ने कराया। अतिथियों का स्वागत मिथिला पाग, सीता उद्भव झांकी स्मृति-चिह्न एवं शॉल भेंट कर किया गया। इस दौरान ई-शिक्षा टीम में सतत योगदान देने वाले शिक्षकों को ई-शिक्षा शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
प्रेरक पहल, साहित्यिक चेतना का विस्तार
मुख्य अतिथि निदेशक विनय कुमार ने कहा कि बिहार के किसी जिले में लगातार तीन वर्षों तक तीन पुस्तकों का प्रकाशन अपने आप में प्रेरणादायक उदाहरण है। यह पहल शिक्षा के साथ-साथ साहित्यिक चेतना को भी मजबूत करती है। उन्होंने इस सृजन यात्रा को निरंतर जारी रखने का आह्वान करते हुए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। प्रख्यात लेखक एवं पूर्व उपनिदेशक रमेश चंद्रा ने कहा कि जानकी की डायरी को देखकर ही यह स्पष्ट हो गया था कि यह शिक्षक समूह सृजन की नई इबारत लिखेगा।
शिक्षण में रचनात्मकता का विस्तार
कार्यक्रम में ई-शिक्षा टीम से वीणा कुमारी, अमर आनंद, अंशु कुमार सहित अम्मा, जानकी की डायरी और शिक्षकों की कलम से पुस्तकों के लेखक-लेखिकाएं उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में रमेश चंद्रा, प्रत्यूष मिश्रा, कमलनाथ झा, नीरज गुरु, सुधाकर सिन्हा, कुमारी गुड्डी सहित अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
सह-संपादक अभिषेक वर्मा ने कहा कि इस पहल से शिक्षकों में लेखन का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपने शिक्षण कार्य में भी रचनात्मक तरीकों को अपनाने लगे हैं। फीडबैक सत्र में शिक्षिकाओं ने बताया कि अब वे कक्षा में कविता-कहानी के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें स्वयं लिखने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं।
संवेदनशील शिक्षा की अपील
उपनिदेशक ललित कुमार सिंह ने प्रियंका कुमारी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि वे मिट्टी और पत्थर जैसी वस्तुओं का भी उपयोग शिक्षण में कर लेती हैं। उन्होंने सभी शिक्षकों से बच्चों के प्रति और अधिक संवेदनशील होने का आग्रह किया। कार्यक्रम का समापन शिक्षा और साहित्य के समन्वय को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ हुआ।
स्वाभाविक आकर्षण और सृजनशीलता का विकास : प्रियंका
प्रियंका ने अपनी सृजनात्मक यात्रा साझा करते हुए स्पष्ट किया कि उनका मूल उद्देश्य शिक्षकों के लेखन कौशल को सशक्त बनाना और उन्हें अपनी अनुभूतियों व विचारों को प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि उनका यह प्रयास किसी साहित्यिक हस्तक्षेप का नहीं, बल्कि एक रचनात्मक पहल है, जिसके माध्यम से शिक्षक स्वयं लिखने की प्रक्रिया से जुड़ें और उसी संवेदना, रुचि एवं कला को बच्चों तक सहज रूप में स्थानांतरित कर सकें। इससे बच्चों में लेखन के प्रति स्वाभाविक आकर्षण और सृजनशीलता का विकास संभव हो सकेगा।
लेखन से आत्मविश्वास, कक्षा से समाज तक प्रभाव
[शिक्षिका वीणा कुमारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सृजन संवाद जैसी पहल ने शिक्षकों को केवल लेखक ही नहीं, बल्कि संवेदनशील विचारक बनने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि इस मंच से जुड़ने के बाद लेखन के प्रति उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपने अनुभवों को शब्दों में ढालने में सक्षम हुई हैं।
उन्होंने यह भी साझा किया कि साहित्य से जुड़ाव ने उनके शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी बनाया है। अब वे कक्षा में कहानी, कविता और अनुभव आधारित गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को न केवल विषयवस्तु समझाती हैं, बल्कि उन्हें सोचने, महसूस करने और अभिव्यक्त करने के लिए भी प्रेरित करती हैं।
वीणा कुमारी ने प्रियंका कुमारी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच शिक्षकों की प्रतिभा को पहचान देने के साथ-साथ उन्हें निरंतर सीखने और सृजनशील बने रहने की प्रेरणा देता है।