शिक्षा में बदलाव सेमिनार व महर्षि विश्वामित्र गुरु सम्मान कार्यक्रम संपन्न

शिक्षा में बदलाव सेमिनार व महर्षि विश्वामित्र गुरु सम्मान कार्यक्रम संपन्न
डुमरांव में देशभर से जुटे शिक्षक, शिक्षा में सुधार व नवाचार पर रखे गए विचार
डुमरांव (बक्सर)। नगर के चौक रोड स्थित मां का आर्शीवाद मैरेज हॉल में रविवार को सेमिनार “शिक्षा में बदलाव” सह महर्षि विश्वामित्र गुरु सम्मान कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर शिक्षा, संस्कृति और समाज सुधार पर केंद्रित विचार रखे गए तथा देशभर से आए शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का आगाज़
उद्घाटन समारोह में स्थानीय सांसद डा. सुधाकर सिंह, विधायक डा. अजित कुमार सिंह, अंतरराष्ट्रीय शिक्षविद् तथा विकास फैमिली क्लब परिवार की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ अंजली चिंचोलीकर महाराष्ट्र से पधारीं दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आगरा अध्यक्ष भाग्यश्री राजेंद्र वर्तक, डायट व्याख्याता नवनीत सिंह, डी.के. कॉलेज डुमरांव के प्राचार्य डा. राजू मोची, सुमित्रा महिला कॉलेज की प्राचार्या डा. शोभा सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी बीपी अशोक, कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर की शिक्षिका नीतु कुमारी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
सारण की शिक्षिका हैप्पी श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। तत्पश्चात आयोजक विकास फैमिली क्लब परिवार के संस्थापक मनोज कुमार मिश्रा ने सभी अतिथियों का अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
संस्कृति की झलकियों ने बांधा समां
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। जम्मू-कश्मीर से आई छात्रा आलिया थापा ने डोगरा नृत्य प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया। सीतामढ़ी के राजकीय मध्य विद्यालय गंगवारा रून्नीसैदपुर की बच्चियों ने झिझिया व जट-जटिन नृत्य प्रस्तुत कर मिथिला संस्कृति को जीवंत कर दिया। वहीं उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेहसौल रून्नीसैदपुर की छात्राओं ने देशभक्ति गीत गाकर सभी को भावुक कर दिया। मुजफ्फरपुर की प्रतिभाशाली छात्रा इशीका ने दुर्गा वंदना प्रस्तुत कर सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी।
28 राज्यों से जुटे शिक्षक
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता रही कि इसमें देशभर के 28 राज्यों से आए शिक्षकों ने भाग लिया। शिक्षा में नवाचार, चुनौतियां और सुधार के विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। यह मंच शिक्षकों के अनुभव साझा करने और शिक्षा पद्धति को बेहतर बनाने की दिशा में सार्थक साबित हुआ।
पुस्तकों का विमोचन
उद्घाटन के बाद “शिक्षा में बदलाव” नामक पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। साथ ही गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार शिवलाल दांगी के कविता संग्रह का भी लोकार्पण किया गया।
अतिथियों का संबोधन
सांसद डा. सुधाकर सिंह
सांसद ने कहा कि शिक्षा समाज का दर्पण है। यदि हमें नई पीढ़ी को बेहतर बनाना है तो शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीरता से काम करना होगा। उन्होंने शिक्षकों को समाज का असली निर्माता बताते हुए कहा कि डुमरांव जैसे कस्बाई क्षेत्र से भी राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का आयोजन होना गौरव की बात है।
विधायक डा. अजित कुमार सिंह
विधायक ने कहा कि आज शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित न रहे बल्कि जीवन कौशल और व्यावहारिक ज्ञान से भी जुड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज मिलकर शिक्षा में बदलाव लाएंगे तभी इसका असली लाभ अंतिम पंक्ति के बच्चों तक पहुंचेगा।
डा. अंजलि चिंचोलीकर
डा. चिंचोलीकर ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे पारंपरिक पद्धतियों के साथ-साथ प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग, डिजिटल टूल्स और रिसर्च आधारित शिक्षा को भी अपनाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षक बदलाव के सूत्रधार होते हैं।
भाग्यश्री राजेंद्र वर्तक
महाराष्ट्र से आईं भाग्यश्री वर्तक ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांगों की शिक्षा और खेलों में भागीदारी को बढ़ावा देना आज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज को समावेशी शिक्षा की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, जहां हर बच्चा अपनी प्रतिभा दिखा सके।
नवनीत सिंह, डायट व्याख्याता
उन्होंने कहा कि एनसीसी, स्काउट-गाइड और सामाजिक गतिविधियों में बच्चों की भागीदारी शिक्षा को व्यावहारिक बनाती है। केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी भी जरूरी है।
डा. राजू मोची (डीके कॉलेज प्राचार्य)
डा. मोची ने कहा कि शिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित न मानें, बल्कि इसे चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का साधन मानना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन की सराहना करते हुए इसे शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
डा. शोभा सिंह (सुमित्रा महिला कॉलेज प्राचार्या)
उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया और कहा कि यदि बेटियां पढ़ेंगी तो पूरा समाज प्रगति करेगा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के ड्रॉपआउट दर पर चिंता जताई और इसे कम करने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत बताई।
बीपी अशोक (पूर्व आईपीएस अधिकारी)
उन्होंने कहा कि शिक्षा में अनुशासन और मूल्य शिक्षा का समावेश जरूरी है। आज की पीढ़ी को केवल डिग्री नहीं, बल्कि अच्छे संस्कार और समाज के प्रति संवेदनशील बनाना होगा।
नीतु कुमारी (कृषि विश्वविद्यालय, सबौर)
उन्होंने कृषि शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चों को खेती, पर्यावरण और तकनीक से जोड़ना बेहद आवश्यक है। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर मिलेंगे बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
शिक्षा में बदलाव की राह
सेमिनार में वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि शिक्षा को व्यवहारिक, आधुनिक और रोजगारपरक बनाना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है। इस बदलाव के लिए शिक्षकों, समाज और सरकार तीनों की साझी जिम्मेदारी है।
आयोजन समिति का आभार
कार्यक्रम के अंत में आयोजक मनोज कुमार मिश्रा ने सभी अतिथियों, शिक्षकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि डुमरांव की धरती से शिक्षा सुधार का संदेश पूरे देश में फैल रहा है।
डुमरांव में हुआ यह कार्यक्रम केवल एक सेमिनार नहीं, बल्कि शिक्षा सुधार की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर उठाया गया महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पुस्तक विमोचन ने इसे और भी खास बना दिया। देशभर से जुटे शिक्षकों की भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की लहर हर राज्य, हर क्षेत्र तक पहुंच रही है।
