मध्य विद्यालय कोआही में स्वतंत्रता दिवस पर उत्कृष्ट छात्रों का हुआ सम्मान

अभिभावकों के हाथों पुरस्कार पाकर बच्चों में दिखा उत्साह, सरकारी विद्यालयों को लेकर धारणा बदलने की पहल
सीतामढ़ी। मध्य विद्यालय कोआही में स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को उनके अभिभावकों के हाथों सम्मानित किया गया। इस अनूठी पहल ने न केवल बच्चों के मनोबल को बढ़ाया, बल्कि अभिभावकों और समुदाय के बीच सरकारी विद्यालयों के प्रति सकारात्मक संदेश भी पहुंचाया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की शिक्षिका वीणा कुमारी ने बताया कि बच्चों को अभिभावकों के हाथों पुरस्कार दिलाने से उनके आत्मविश्वास में कई गुना वृद्धि होती है। इससे बच्चों को यह महसूस होता है कि उनकी मेहनत और प्रतिभा को न सिर्फ शिक्षक बल्कि उनके अभिभावक भी देख रहे हैं। इस पहल से माता-पिता का जुड़ाव विद्यालय और बच्चों की पढ़ाई से और गहरा होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर यह धारणा रहती है कि सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जाती। लेकिन इस तरह के आयोजनों से समाज में संदेश जाएगा कि यहां भी बच्चों को न सिर्फ पढ़ाई बल्कि सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी प्रोत्साहन मिलता है। अभिभावकों की भागीदारी से विद्यालय और बच्चों के बीच भरोसा मजबूत होता है।
पुरस्कार पाकर बच्चों के चेहरे पर उत्साह साफ झलक रहा था। कई छात्र-छात्राओं ने कहा कि उन्हें पहली बार ऐसा अनुभव हुआ कि उनके अभिभावकों ने सार्वजनिक मंच पर उन्हें सम्मानित किया। इससे उनमें और मेहनत करने का उत्साह जागा है।
विद्यालय प्रधानाध्यापिका सीता कुमारी और विद्यालय के शिक्षकों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियों से न केवल बच्चों को प्रेरणा मिलेगी बल्कि अभिभावकों को भी विद्यालय से जुड़ने का अवसर मिलेगा। जब माता-पिता बच्चों की उपलब्धियों को देखकर गर्व महसूस करेंगे, तो वे विद्यालय की गतिविधियों और शिक्षा की गुणवत्ता को भी नजदीक से समझ पाएंगे।
शिक्षिका वीणा कुमारी ने बताया कि विद्यालय प्रशासन की ओर से आगे भी ऐसे आयोजनों को निरंतर जारी रखने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और परिवार की सहभागिता से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।
मध्य विद्यालय कोआही में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित यह सम्मान समारोह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह सरकारी विद्यालयों की छवि बदलने और शिक्षा में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सार्थक कदम साबित हुआ। इससे न सिर्फ बच्चों का मनोबल बढ़ा बल्कि समाज में यह संदेश गया कि सरकारी विद्यालय भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।