शिक्षा में बदलाव सेमिनार में मिथिला की बेटियों ने बिखेरा लोक संस्कृति का रंग

सीतामढ़ी। राजकीय मध्य विद्यालय गंगवारा रून्नीसैदपुर की बच्चियों ने बक्सर जिला अंतर्गत डुमरांव स्थित सभागार में आयोजित “शिक्षा में बदलाव” सह महर्षि विश्वामित्र गुरु सम्मान समारोह में अपनी शानदार प्रस्तुतियों से सबका दिल जीत लिया। विद्यालय की शिक्षिका सह सीईओ डीएनई के नेतृत्व में छात्राओं ने मिथिला की लोक संस्कृति को मंच पर उतारते हुए झिझिया और जट-जटिन जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए, जिससे पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
झिझिया और जट-जटिन ने बांधा समां
झिझिया नृत्य विद्यालय की कक्षा 4 की छात्रा पलक और कक्षा 3 की छात्रा सलोनी ने प्रस्तुत किया। दोनों बच्चियों की लयबद्ध थिरकन और पारंपरिक वेशभूषा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं जट-जटिन नृत्य की प्रस्तुति कक्षा 8 की छात्राओं मुस्कान और कल्पना ने दी। ग्रामीण संस्कृति और सामाजिक सरोकारों को दर्शाने वाला यह नृत्य दर्शकों को इतना भाया कि वे तालियां बजाने पर विवश हो गए।
देशभक्ति गीतों ने जगाया उत्साह
कार्यक्रम में देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति ने भी माहौल को भावपूर्ण बना दिया। अंजलि (कक्षा 8, उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेहसौल रून्नीसैदपुर, सीतामढ़ी) और ममता (कक्षा 8, राजकीय मध्य विद्यालय) ने सुमधुर स्वरों में देशभक्ति गीत गाकर उपस्थित जनों में राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। बच्चियों की यह प्रस्तुति समारोह का मुख्य आकर्षण बनी।
बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड से सम्मानित हुआ मयंक
राजकीय मध्य विद्यालय गंगवारा के छात्र मयंक को विद्यालय का “बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड” देकर सम्मानित किया गया। उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों और अनुशासनात्मक योगदान को देखते हुए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। सम्मान प्राप्त कर मयंक ने विद्यालय और अपने शिक्षकों का नाम रोशन किया।
गरिमामयी उपस्थिति में हुआ उद्घाटन
सेमिनार का उद्घाटन सांसद डॉ. सुधाकर सिंह, विधायक डॉ. अजित कुमार सिंह, डायट व्याख्याता नवनीत सिंह, डीके कॉलेज प्राचार्य डॉ. राजू मोची, सुमित्रा महिला कॉलेज प्राचार्य डॉ. शोभा सिंह, महाराष्ट्र से आई शिक्षाविद डॉ. अंजलि चिंचोलीकर, शिक्षाविद भाग्यश्री राजेंद्र वर्तक, पूर्व आईपीएस बीपी अशोक, साइबर सेल डीएसपी अविनाश कुमार, कृषि महाविद्यालय व्याख्याता नीतू कुमारी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
संस्कृति और शिक्षा का संगम
यह आयोजन केवल शिक्षा में बदलाव पर विचार-विमर्श तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें सांस्कृतिक धरोहर को भी मंच प्रदान किया गया। मिथिला की लोकनृत्य परंपरा और छात्र-छात्राओं की प्रतिभा ने इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया। समारोह ने यह संदेश दिया कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों से भी जुड़ा है।