“अपने शिक्षकों का दर्द हमारा भी है” : सड़क हादसे में घायल शिक्षिका काजल कुमारी के साथ शिक्षा विभाग ने दिखाई संवेदनशीलता

पटना/पूर्वी चंपारण। पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा प्रखंड अंतर्गत जीपीसी कोइरगांवा में पदस्थापित बीपीएससी शिक्षिका काजल कुमारी दो दिन पूर्व एक भीषण सड़क हादसे का शिकार हो गईं। स्कूल जाते समय तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी स्कूटी को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गईं। आनन-फानन में उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया, जहां गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों को उनका एक हाथ काटना पड़ा। वर्तमान में काजल कुमारी आइसीयू में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही हैं।
शिक्षा विभाग ने दिखाई त्वरित संवेदनशीलता
जैसे ही इस हृदयविदारक घटना की सूचना शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंची, विभाग ने तत्काल मानवीयता और संवेदनशीलता का परिचय दिया। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस. सिद्धार्थ स्वयं अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच समय निकालकर पटना डीईओ संजय कुमार के साथ एम्स पहुंचे।
घायल शिक्षिका के इलाज में कोई कमी न हो : एसीएस
एसीएस का निर्देश एम्स में शिक्षिका काजल कुमारी से मिलकर एसीएस ने न सिर्फ उनका हालचाल जाना, बल्कि अस्पताल प्रशासन से मिलकर यह सुनिश्चित किया कि उनके इलाज में कोई भी कमी न रहे। एम्स के निदेशक, डिप्टी डायरेक्टर और इलाज कर रहे डॉक्टरों को विशेष निर्देश देते हुए एसीएस ने स्पष्ट कहा कि काजल कुमारी के इलाज में सभी आवश्यक संसाधन और सर्वोत्तम चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराई जाए।इसके साथ ही उन्होंने पटना डीईओ को निर्देश दिया कि वे प्रतिदिन काजल कुमारी के स्वास्थ्य की स्थिति की रिपोर्ट विभाग को भेजें और पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता प्रदान की जाए।
परिजनों को मिला संबल
इस कठिन समय में जब काजल कुमारी के परिजन गहरे सदमे में थे, तब शिक्षा विभाग के इस सहयोग ने उन्हें नया संबल दिया। एसीएस एस. सिद्धार्थ का यह व्यक्तिगत पहल दिखाता है कि शिक्षा विभाग अपने शिक्षकों को केवल एक कर्मचारी नहीं, बल्कि परिवार का सदस्य मानता है।
शिक्षकों के मन में भरोसे की नई किरण
एस. सिद्धार्थ की यह संवेदनशीलता विभागीय गरिमा को नई ऊंचाई देती है। इससे न केवल घायल शिक्षिका के परिवार को राहत मिली, बल्कि राज्य के हजारों शिक्षकों के दिलों में यह विश्वास भी गहरा हुआ कि “कठिन समय में हम अकेले नहीं हैं, हमारा विभाग हमारे साथ है।
“जब काजल कुमारी जीवन की सबसे बड़ी जंग लड़ रही हैं, तब उनके साथ शिक्षा विभाग की यह संवेदनशीलता एक उम्मीद की किरण बनकर खड़ी है। यह घटना शिक्षा व्यवस्था के भीतर एक नई सोच और मानवीयता की मिसाल प्रस्तुत करती है, जो आने वाले समय में अन्य विभागों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
