
रून्नीसैदपुर (सीतामढ़ी)। प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय थुम्मा में किशोरावस्था स्वास्थ्य शिक्षा पर आधारित चार दिवसीय गैर-आवासीय प्रशिक्षण गुरुवार को सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया। यह प्रशिक्षण राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, महेन्दु पटना के निदेशक के निर्देश पर आयोजित किया गया, जिसका संचालन डुमरा डायट के व्याख्याता डॉ. मनोज कुमार के नेतृत्व में किया गया।
इस प्रशिक्षण में प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों से कक्षा 6 से 12 तक के करीब 256 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। उन्हें किशोरावस्था में बच्चों के मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास से संबंधित आवश्यक जानकारी और व्यवहारिक कौशल प्रदान किया गया। कुल 30 प्रशिक्षकों की टीम—राजेश लाल कर्ण, सुजीत कुमार झा, अभिषेक वर्मा, निकीता शर्मा, विनीत कुमार सहित—ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया।
प्रशिक्षण के अंतिम दिन “धूम्रपान निषेध” विषय पर महिला और पुरुष शिक्षकों द्वारा नाट्य प्रस्तुति की गई। महिला शिक्षकों की प्रस्तुति को खासा सराहा गया। इस नाटक के माध्यम से धूम्रपान के दुष्परिणामों को उजागर करते हुए इससे दूर रहने का संदेश दिया गया। इसके अलावा, “गुड टच और बैड टच” जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा की गई, जिससे शिक्षकों को छात्र-छात्राओं के साथ इन विषयों पर संवाद स्थापित करने में मदद मिले।
डायट व्याख्याता डॉ. मनोज कुमार ने प्रशिक्षुओं को राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था जीवन का अत्यंत संवेदनशील दौर होता है, जिसमें हार्मोनल बदलाव, मानसिक अस्थिरता और सामाजिक दबाव प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ऐसे में छात्रों को सही मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है।
प्रशिक्षण के दौरान ‘विद्यालय स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम’ के अंतर्गत पोषण, व्यक्तिगत स्वच्छता, मानसिक स्वास्थ्य, नशा मुक्ति, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, बाल सुरक्षा और जीवन कौशल जैसे अहम विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रतिभागी शिक्षकों को इन विषयों पर गहन जानकारी देकर उन्हें विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सक्षम बनाया गया।
प्रशिक्षण समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को “आरोग्य दूत” की उपाधि और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों की कार्यकुशलता बढ़ाएगा, बल्कि किशोर छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।





