मध्य विद्यालय सुरीगांव में सुरक्षित शनिवार को समाजिक कुरीतियों पर जागरुकता अभियान कार्यक्रम का किया गया आयोजन
छोटे बच्चों को अधिक प्यार और स्नेह की जरूरत होती है : मनु कुमारी
बच्चों के मौलिक अधिकार से वंचित रखने पर माता-पिता को सजा भी मिल सकती है : नीतू रानी
पूर्णिया. मध्य विद्यालय सुरीगांव, बायसी में सुरक्षित शनिवार के तहत समाजिक कुरीतियों पर एक जागरुकता अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय एचएम मो. जहांगीर आलम ने किया. सभी बच्चों को आंगन के परिसर में बुलाकर बाल अधिकार, बाल विवाह, बाल शोषण तथा बच्चों से छेड़छाड़ संबंधी जानकारी दी गई.
बाल अधिकार पर विद्यालय की सहायक शिक्षिका मनु कुमारी ने कहां कि बाल अधिकार नाबालिग बच्चों की सुरक्षा तथा उनके बचाव के लिए निर्धारित किए गए मानवाधिकार हैं. 1989 के बाल अधिकार सम्मेलन में बालक शब्द को परिभाषित करते हुए कहां गया कि कोई भी व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से कम है, जब तक नियम में परिभाषित व्यस्कता को पहले प्राप्त नहीं किया हो, बाल कहलाता है.
छोटे बच्चों को अधिक प्यार और स्नेह की जरूरत होती है. बच्चों से उनका बचपन नहीं छीने. जब बच्चों को शारीरिक रूप से एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो उसे बाल शोषण कहते हैं. 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को जब हम डराकर या उन्हें चोट पहुंचा काम लेते हैं तो उसे बाल शोषण कहते हैं. इस क्रम में गुड टच और बैड टच के बारें में बताया गया.
बाल विवाह पर बच्चों ने बहुत सुंदर एवं रोचक नाटक का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया. बाल विवाह पर चर्चा करती हुई शिक्षिका नीतू रानी ने कहां कि बाल विवाह कानून अपराध है. 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का विवाह होना कानूनन अपराध है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम इस आयु के बच्चों को पढ़ने का अवसर, कुछ करने का अवसर देती है. क्योंकि यह उसका मौलिक अधिकार है.
बच्चों के मौलिक अधिकार से वंचित रखने पर माता-पिता को सजा भी मिल सकती है. बाल मजदूरी पर भी बच्चों ने नाटक की प्रस्तुति की. समाजिक कुरीतियों एवं इसको दूर करने पर विस्तृत चर्चा हुई. नाटक में रीति, रेणु, कृष्णा, विक्रम, सीता, आरसी, मिथुन, आयुषी आदि ने भाग लिया. कार्यक्रम का संचालन नीतू रानी ने किया. जबकि उनके साथ सहयोगी रूप में मनु कुमारी एवं तरब आरा बेगम मौजूद रहीं.