शिवहर : फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए जिले में शुरू हुआ नाइट ब्लड सर्वे अभियान
21 दिसंबर तक 12 सत्र स्थलों पर चलेगा नाइट ब्लड सर्वे अभियान, जिले में अभी 2303 फाइलेरिया के मरीज
शिवहर। सर्वजन दवा अभियान के पहले जिले में फाइलेरिया के प्रसार दर जानने के लिए सोमवार को रात 8 बजे वार्ड नंबर 11 शंकर चौक स्थित साइट से नाइट ब्लड सर्वे अभियान की शुरुआत की गयी। कार्यक्रम का शुभारंभ नगर परिषद के सभापति राजन नंदन सिंह, सिविल सर्जन डॉ शैलेन्द्र कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया। नाइट ब्लड सर्वे को उत्सव रूप में मनाया गया।
नाईट ब्लड सर्वे 21 दिसंबर तक चलेगा। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुरेश राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे से संभावित मरीजों की समुचित जांच सुनिश्चित हो सकेगी और शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी मिल जाएगी। जहां सैंपल एकत्र होने हैं वहां संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को सैम्पलिंग कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा।
फाइलेरिया की स्थिति का पता चलेगा
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुरेश राम ने कहा कि अभी तक जिले में कुल 2303 फाइलेरिया संक्रमित लोगों को चिन्हित किया जा चुका है जिसकी निगरानी जिला भीबीडीसी कार्यालय द्वारा की जा रही है। डॉ राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे अभियान का उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है।
नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि कितने लोगों में फाइलेरिया का पैरासाइट मौजूद है। फाइलेरिया का पैरासाइट रात में ही सक्रिय होता है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में रात में आठ से 12 बजे के बीच ही ब्लड सैम्पल लिया जा रहा। इसमें 20 साल से ऊपर के लोगों का रक्त नमूना जांच के लिए लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे के लिए सूक्ष्म कार्य योजना तैयार की गई है।
धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेता है फाइलेरिया
फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। जिसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है। जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। लेकिन बुखार व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और अंडकोषों की सूजन हाइड्रोसिल फाइलेरिया के लक्षण हैं।
फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। सत्र स्थल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शाकिब हसन एवं पिरामल फाउंडेशन के जिला प्रतिनिधि प्रभाकर कुमार, प्रखंड प्रतिनिधि नवीन कुमार मिश्रा, भीबीडीएस मनोज कुमार उपस्थित रहे।
फाइलेरिया बीमारी के क्या-क्या है लक्षण
-कई दिन तक रुक.रुक कर बुखार आना।
-शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड लसीका ग्रंथियों में सूजन।
-हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
-महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन।
-पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
-संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।
बीमारी से बचाव के उपाय
-लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
-फाइलेरिया की दवा एमडीए/आईडीए (ट्रिपल ड्रग थेरेपी) अभियान के दौरान तीन वर्ष तक सेवन करने पर बचा जा सकता है।
-फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
-साफ-सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
-रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।