गोवर्धन का आया है पावन त्योहार,
सजा है आंगन, खुशियों की बहार।
इंद्र का अभिमान चूर करने को,
नंदलाला ने पर्वत लिया था उठा।
ब्रजवासियों को बचाने के लिए,
छोटी उंगली पर पर्वत को टिकाया।
छप्पन भोग लगाया, अन्नकूट बनाया,
गोवर्धन पर्वत की महिमा का गुण गाया।
गाय-बैल की पूजा आज हम करते,
प्रकृति के प्रति हम आभार भरते।
गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाते,
फूलों से उसे हम खूब सजाते।
प्रसाद बाँटते, खुशियाँ मनाते,
श्रीकृष्ण के गीत सब मिलकर गाते।
यह पर्व हमें सिखाता है प्यार,
प्रकृति और पशुधन का सम्मान।
कृष्ण की कृपा हर घर पर बरसे,
सुख-समृद्धि से हर घर हर्षाए।
अहंकार से बचकर, विनम्रता अपनाएँ,
गोवर्धन पूजा का यही संदेश अपनाएँ।
यह त्यौहार लाता है नई उम्मीद,
जीवन में प्रेम और आनंद की वृद्धि।
नारायण का रूप हैं गिरिराज,
रक्षक बनकर करते हैं सबकी लाज।
गोवर्धन पूजा का दिन है ये खास,
जिसमें बसा है भक्ति का वास।