स्वास्थ्य योजनाओं को अंतिम पायदान के लोगों तक पहुंचाने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम

जन प्रतिनिधियों को दी गई टीबी, मिशन परिवार विकास अभियान समेत कई कार्यक्रमों की जानकारी
योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के साथ लोगों को जागरूक करने के लिए किया गया प्रेरित
बक्सर, 27 फरवरी | जिले में स्वास्थ्य सेवाओं और कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार और उनके अनुश्रवण को लेकर जनप्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण तेज कर दिया गया है। इस क्रम में मंगलवार को जिले के ब्रह्मपुर, केसठ और चौगाई प्रखंड के पंचायतों को स्वास्थ्य विभाग के इन कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। इस क्रम में जनप्रतिनिधियों को टीबी, मिशन परिवार विकास अभियान, एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।
उन्मुखीकरण कार्यशाला में डीसीएम हिमांशु सिंह ने बताया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान के लाभुकों को मिले, इसके लिए पंचायतों के जनप्रतिनिधियों की भूमिका सबसे अहम है। जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में न केवल इन योजनाओं का प्रचार प्रसार करें, बल्कि लोगों को योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों तक लाने का भी प्रयास करें।
ताकि, सभी के सहयोग से एक बेहतर बक्सर और खुशहाल बक्सर की परिकल्पना को सार्थक किया जा सके।एमपीवी में पुरषों की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत :ब्रह्मपुर एमओआईसी डॉ गोपाल कृष्ण यादव ने बताया कि आज जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार काफी चिंतित है। इसके लिए मिशन परिवार विकास (एमपीवी) अभियान का संचालन किया जा रहा है। लेकिन इन अभियानों में पुरुषों की भागीदारी को बढ़ाना है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
लोगों को छोटा परिवार सुखी परिवार के उद्देश्यों को समझाना होगा। जिसमें जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। वहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम और टीबी मुक्त पंचायत पहल का उल्लेख करते हुए अपने क्षेत्र के टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील की। ताकि, टीबी मरीजों को समाज के मुख्यधारा में लाने का काम किया जा सके।
एनीमिया से शिशु का संपूर्ण विकास बाधित होता है
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि सरकार महिलाओं, बच्चों और किशोरों जैसे कमजोर आयु समूहों में एनीमिया को कम करने के लक्ष्य के साथ एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम का संचालन कर रही है। जिसके तहत 6-59 महीने की उम्र के बच्चे, 5 – 9 वर्ष की आयु के बच्चे, किशोर लड़के और लड़कियां, प्रजनन आयु की युवतियां, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं को लक्षित किया गया है।
एनीमिया न केवल बच्चों के शारीरिक विकास को प्रभावित करता है, बल्कि उनके मानसिक विकास को भी क्षति पहुंचाता है। जिससे शिशु का संपूर्ण विकास बाधित होता है। इसलिए जरूरी है कि आप सभी अपने अपने क्षेत्रों में लोगों को अपने परिवार के बच्चों, किशोरों और महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करने के लिए लोगों को प्रेरित करें।
आरबीएसके के तहत बच्चों का होता है इलाज
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को लेकर जनप्रतिनिधियों को जागरूक किया गया। आरबीएसके के डॉ. अभिजीत वैद्य ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 साल तक के बच्चों का मुफ्त में पांच लाख रुपये तक का इलाज किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत बच्चों की कई जन्मजात बीमारी जैसे बच्चों के हृदय में छेद, जन्मजात मोतियाबिंद, फटे होंठ, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति, जन्मजात मोतियाबिंद, मूक बधिर, क्लबफुट, कमर में गंभीर समस्या समेत 42 बीमारियों की पहचान की जाती है और उनका इलाज कराया जाता है। जिसका लाभ कई बच्चों को दिलाया गया है।
इसके लिए आरबीएसके की टीम स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में शिविर लगाकर जांच करती है। साथ ही, कोई भी जरूरमंत लाभुक अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर इस योजना की जानकारी ले सकता है।कार्यशाला में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक कुमार प्रियदर्शी, सुशील कुमार, बीसीएम गौतम कुमार, विकास कुमार के अलावा ब्रह्मपुर, केसठ एवं चौगाईं के सभी पंचायतों के सरपंच भी मौजूद रहे।

