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बक्सर जिले के शिक्षक दुर्ग मांगे ने राज्य स्तरीय टीएलएम मेले में बढ़ाया मान

बक्सर। जिला शिक्षा क्षेत्र में निरंतर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहा है। हाल ही में राज्य स्तरीय टीएलएम (शैक्षणिक सामग्री) मेले में बक्सर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय विट्ठलपुर के शिक्षक श्री दुर्ग मांगे ने जिले का मान एक बार फिर बढ़ाया है। यह कोई पहली उपलब्धि नहीं है, इससे पहले भी वे अपनी शैक्षणिक दक्षता, नवाचारों और समर्पण से कई बार जिले को गौरवान्वित कर चुके हैं।

दुर्ग मांगे शिक्षा जगत में एक ऐसा नाम बन चुके हैं, जिन्होंने हर अवसर पर अपनी प्रतिभा से न केवल जिले बल्कि राज्य भर में अपनी अलग पहचान बनाई है। स्कूल रीडीनेस प्रोग्राम ‘चहक’ हो या विज्ञान एवं गणित विषयों पर आधारित प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (PBL) कार्यक्रम, हर पहल में उन्होंने विद्यार्थियों को बेहतर दिशा देने का कार्य किया है। इसी वर्ष आयोजित PBL मेले में गणित विषय में बक्सर जिले ने राज्य स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जिसका श्रेय भी उनके कुशल मार्गदर्शन को जाता है।

उनकी रचनात्मकता केवल शिक्षण में ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक सामग्री लेखन में भी देखने को मिलती है। दीक्षा पोर्टल पर कंटेंट राइटिंग और प्रशिक्षण मॉड्यूल लेखन में उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई है। इसी वर्ष की शुरुआत में आईआईटी गांधीनगर द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला में उन्हें राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जो उनकी विशेषज्ञता और ख्याति का प्रमाण है।

भारत विकास परिषद ने उनकी युवा प्रतिभा को सम्मानित करते हुए ‘युवा प्रतिभा सम्मान’ से नवाजा है। इसके अलावा, वह आपदा प्रबंधन, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग, निष्ठा प्रशिक्षण तथा अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों में राज्य स्तरीय प्रशिक्षक के रूप में कार्य कर चुके हैं।

हाल ही में ओरिएंटल कॉलेज ऑफ एजूकेशन एंड रिसर्च द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नई शिक्षा नीति पर उनके विचारों को खूब सराहा गया और उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया। शिक्षा के साथ-साथ वे सामाजिक सरोकारों में भी सक्रिय रहते हैं – चाहे वह स्वास्थ्य जागरूकता हो, वृक्षारोपण अभियान हो या फिर जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता, उनका योगदान सदैव प्रेरणादायक रहा है।

उनकी कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण और नवाचार ने उन्हें जिले ही नहीं बल्कि राज्य के शिक्षकों के लिए एक आदर्श बना दिया है। डुमरांव अनुमंडल के नंदन गांव निवासी दुर्ग मांगे आज शिक्षा जगत में एक प्रेरणास्रोत के रूप में पहचाने जाते हैं।

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