कोपवा मां काली मंदिर में महा सप्तशती पाठ और हवन-पूजन का भव्य आयोजन

नावानगर (बक्सर) : प्रखंड स्थित कोपवा गांव के प्रसिद्ध मां काली मंदिर में अमावस्या तिथि पर रविवार की रात भव्य महा सप्तशती पाठ, हवन-पूजन और आरती का आयोजन किया गया। यह अनुष्ठान मंदिर को शक्तिपीठ बनाने की दिशा में निरंतर चल रहे संकल्प का हिस्सा है।
मंदिर समिति ने यह निर्णय लिया है कि लगातार 108 अमावस्या तक मां काली की आराधना, महा सप्तशती पाठ, हवन और विशेष पूजा-अर्चना कर मंदिर को सिद्धपीठ के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसी क्रम में रविवार की रात 41वीं अमावस्या का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया।
इस अवसर पर बनारस से पधारे आचार्य सुशील शास्त्री एवं उनकी टीम ने पूरे वैदिक विधान से महा सप्तशती पाठ संपन्न कराया। पूजा की शुरुआत माता की विशेष आरती से हुई, इसके बाद पूरी रात मां काली की भक्ति और साधना का माहौल बना रहा। अहले सुबह विशाल हवन का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और माता से आशीर्वाद प्राप्त किया।
हवन-पूजन और पाठ की समाप्ति के बाद हजारों भक्तों को खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया गया। वहीं, अंतिम चरण में प्रसाद स्वरूप पूड़ी, खीर और सब्जी का भी वितरण किया गया, जिसे श्रद्धालुओं ने बड़े उत्साह और आस्था के साथ ग्रहण किया।
पूरे अनुष्ठान में कोपवा गांव सहित आस-पास के क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। भोजपुर, रोहतास, कैमूर सहित कई जिलों से लोग मां काली के दर्शन और पूजा-अर्चना हेतु पहुंचे। रातभर मंदिर परिसर भक्ति और आस्था के गीतों से गूंजता रहा।
इस मौके पर स्थानीय समाजसेवी और श्रद्धालुओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। आयोजन में प्रमुख रूप से अमिताभ कुमार सिंह उर्फ मुन्ना सिंह, अरुण सिंह पहलवान, रामेश्वर सिंह, प्रमोद सिंह, सनमुन सिंह, करिया सिंह, प्रिंस सिंह, सत्यम कुमार, राहुल कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
मंदिर समिति के सदस्यों का कहना है कि जैसे-जैसे अमावस्या का यह सिलसिला आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं का उत्साह और आस्था और भी प्रगाढ़ होती जा रही है। लोगों का विश्वास है कि जब यह 108वां पाठ पूर्ण होगा, तब कोपवा का मां काली मंदिर न सिर्फ एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित होगा बल्कि यह क्षेत्र भक्ति और आस्था का प्रमुख केंद्र भी बनेगा।
इस भव्य आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब श्रद्धा और संकल्प मिलकर साधना का रूप लेते हैं तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। मां काली की इस साधना ने गांव ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत कर दिया।