
पटना। बिहार की राजधानी पटना में आयोजित दो दिवसीय टीएलएम-2 (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) मेले में पूर्णिया जिले के प्राथमिक विद्यालय जनकबाग कुल्लाखास कस्बा की शिक्षिका पूजा बोस ने अपने नवाचार से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनके द्वारा प्रस्तुत “छड़ी एवं मजे से बनी कठपुतली का सुबोपली खेल” मेले का मुख्य आकर्षण बना रहा। यह गतिविधि न केवल शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत बनी, बल्कि बच्चों के बीच भी काफी लोकप्रिय रही।
इस मेले का उद्देश्य था कि शिक्षक अपनी रचनात्मकता और स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर शिक्षण को अधिक प्रभावशाली और रोचक बना सकें। पूजा बोस ने सादे एवं आसानी से उपलब्ध सामग्री से कठपुतलियों का निर्माण किया और उन्हें शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल कर एक अनोखा उदाहरण पेश किया।
उन्होंने बताया कि इस खेल के जरिए बच्चे विभिन्न विषयों को संवाद और अभिनय के माध्यम से आसानी से समझ पाते हैं, जिससे उनकी सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। पूजा बोस का मानना है कि अगर शिक्षण में मनोरंजन और खेल को जोड़ा जाए, तो बच्चे पढ़ाई में रुचि लेने लगते हैं और कठिन विषय भी सरल लगने लगते हैं। उनका यह प्रयोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जहां संसाधनों की कमी होती है, लेकिन नवाचार की कोई सीमा नहीं होती।
मेले में बिहार के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों शिक्षकों ने हिस्सा लिया और अपने-अपने टीएलएम मॉडल प्रस्तुत किए। पूजा बोस की प्रस्तुति को शिक्षा विभाग के अधिकारियों, अन्य शिक्षकों और आगंतुकों द्वारा खूब सराहा गया। इसे विद्यालयों में अपनाए जाने योग्य नवाचार बताया गया।
पूजा बोस की इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि एक समर्पित और नवोन्मेषी शिक्षक सीमित संसाधनों के बावजूद भी बच्चों के लिए शिक्षा को जीवनमूल्य से जोड़ सकता है। उनकी यह प्रस्तुति न केवल शिक्षण विधियों में बदलाव की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी दिखाती है कि शिक्षकों की रचनात्मकता शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।
