हिंदी दिवस पखवाड़ा अंतर्गत आयोजित हुआ काव्य गोष्ठी, एक से बढ़कर एक प्रस्तुति पर बजी तालियां
डुमरांव. हिंदी दिवस पखवाड़ा पर प्रलेस बक्सर द्वारा नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत हरि जी हाता स्थित बिस्मिल्लाह खां संगीत एकेडमी सभागार में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता शिक्षिका सह कवयित्री मीरा सिंह मीरा तथा संचालन प्रगतिशील लेखक संघ बक्सर के जिलाध्यक्ष बीएल प्रवीण ने किया.
गोष्ठी में सर्वप्रथम जिले के प्रतिष्ठित कवि सह जलेस बक्सर के अध्यक्ष महेन्द्र पाण्डेय के निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया. बीएल प्रवीण ने बताया कि उनकी दो काव्य पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं. वे प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे.गोष्ठी में कुछ वक्ताओं ने हिन्दी दिवस पर अपने मंतव्य रखें.
डीके कालेज प्राध्यापक डॉ कुर्बान खान ने संवाद भेज कर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की कवायद पर जोर दिया.बक्सर से आए ग़ज़लगो फारुख शैफी ने अपनी ग़ज़ल सुर में पेश कर समां बांध दिया. “चमन में खुशबू लुटा के गुलाब बन जाओ, पढ़ेंगे लोग तुम्हें वो किताब बन जाओ” इस पर काफी तालियां बजीं.
बक्सर से आए प्रलेस के जिला सचिव नर्वदेश्वर उपाध्याय ने श्रोताओं की फरमाइश पर लगभग चार रचनाओं का पाठ किया. गोष्ठी में स्थानीय उषा रानी बालिका उच्च विद्यालय की छात्राए शामिल हुई. महिमा कुमारी ने जन-जन की आस्था है हिन्दी.
वहीं दसवीं की छात्रा रोशनी ने हिन्दी हमारी शान है शीर्षक कविता सुनाई.मीरा सिंह मीरा ने साहित्य में लोगों की घट रही दिलचस्पी पर चिंता जताई. बताया कि जब नैतिक मूल्य और संस्कार ही नहीं बचेंगे तो पशुवत जीने का क्या फायदा. साहित्य की महत्ता को लोग भूल चुके हैं. उन्होंने अपनी कुछ कविताएं भी सुनाईं, जम कर तालियां बजीं.
अंत में बीएल प्रवीण ने अपनी तीन ताजा ग़ज़लें सुनाईं, जिन्हें लोगों ने खूब पसंद किया. “आंखों में दर्द को सजा लीजिए ग़र आंसू बहे तो मजा लीजिए”. “दिल में दर्द को यूं सजाए रखा धड़कनें उनकी थीं बचाए रखा” इन ग़ज़लों को लोगों ने काफी ध्यान से सुना. गोष्ठी का समापन सेवा निवृत्त प्रधानाध्यापक भृगुनाथ यादव ने किया.