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रंजीत यादव और डा. शत्रुघ्न मंडल पर भी राजनीतिक दलों की नजर, जीतने के लिए खेल सकती है दाव !

युवाओं को तरजीह मिला तो अररिया सीट से मिल सकता है टिकट अररिया। सामाजिक दृष्टिकोण से देखें, तो सरसरी तौर...

युवाओं को तरजीह मिला तो अररिया सीट से मिल सकता है टिकट

अररिया। सामाजिक दृष्टिकोण से देखें, तो सरसरी तौर पर अररिया मुस्लिम बहुल दिखता है. आम समझ में भी ऐसी ही कुछ बात है. पर, वास्तव में वैसा है नहीं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस क्षेत्र में 56.6 प्रतिशत हिन्दू हैं,तो मुस्लिम आबादी 42.9 प्रतिशत है.चुनावों में मतों का धु्रवीकरण आमतौर पर साम्प्रदायिक आधार पर हो जाया करता है.

स्वाभाविक लाभ भाजपा को मिल जाता है. मुस्लिम उम्मीदवार की जीत तभी होती है जब साम्प्रदायिक आधार पर धु्रवीकरण नहीं होता है. यानी दूसरे समुदाय के मत मिलने या फिर मैदान में उस समुदाय के दो मजबूत उम्मीदवार रहने पर ही उसका मंसूबा फलीभूत हो पाता है.

नीतीश कुमार की चौथी पलटी और जातिगत जनगणना के मद्दे नजर राष्ट्रीय एवम क्षेत्रीय पार्टी भी अररिया लोकसभा सीट से उम्मीदवार चयन में माथापच्ची कर रहा है। अति पिछड़ा बहुल समाज के दावेदार को नजरंदाज करना, सीमांचल में यादव समाज को तरजीह नहीं देना आदि पर भी चिंतन जारी है।

ऐसे में अति पिछड़ा समाज के मंडल जाति से आने वाले डा.शत्रुध्न मंडल एवम यादव बिरादरी से आने वाले युवा नेता रंजीत यादव के नामों की पार्टी के कोर कमेटी में चर्चा हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में इन दोनों में किन्हीं को अररिया संसदीय सीट का टिकट मिल जाय तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

राज्य की राजनीति के बदल गये हालात में कांग्रेस ने सीमांचल के दो संसदीय क्षेत्रों पर पहले से दावा ठोंक रखा है. किशनगंज और कटिहार पर. अररिया राजद टिकट के लिए चल रहे शीत युद्ध से यदि पार्टी अपना सीट अदल बदल कर दे। कांग्रेस को कटिहार के बदले उसे अररिया दिया जा सकता है. इस रूप में यदि उसकी संभावना बनती है, तो मुख्यतः तीन नामों पर गौर फरमाया जा सकता है. अररिया जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व विधायक जाकिर हुसैन, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान , वरीय कांग्रेसी नेता जनाब इंतखाब आलम ।

युवा वर्ग को मिलेगा तवज्जो

राजग में यह सीट भाजपा के हिस्से में रहेगी. इस पार्टी में भी और कई दावेदार हैं. नये दावेदारों के उभरने का आधार वह चर्चा है जिसमें कहा जा रहा है कि अधिकाधिक सफलता हासिल करने के लिए भाजपा नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर ‘सठियाये चुनावी चेहरों’ को वानप्रस्थ आश्रम में डाल युवा वर्ग को तवज्जो देने की रणनीति पर मंथन कर रहा है.

ऐसी किसी रणनीति पर अमल हुआ तब 2024 के संसदीय चुनाव में नये चेहरों को अवसर उपलब्ध कराया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं. ऐसा इस समझ के तहत भी किया जाने वाला है कि एक ही नेता को लगातार उम्मीदवार बनाये जाने से उसके साथी कार्यकर्ता ताउम्र चुनावी राजनीति से बाहर रह जाते हैं.

क्षेत्र में है मजबूत पकड़

भाजपा के सूत्रों के अनुसार विकल्प के तौर पर पार्टी नेतृत्व की नजर युवा नेता रंजीत कुमार यादव पर भी है. इस युवा नेता के करीब रहने वालों के मुताबिक उन्हें चुनाव की तैयारी करने को कहा गया है. 2015 में जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रहे युवा नेता रंजीत कुमार यादव की क्षेत्र में मजबूत पकड़ तो है ही, चुनाव के लिए आवश्यक साम दाम दण्ड भेद की कला में भी वह निपुण माने जाते हैं.

ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में तकरीबन पांच लाख यादव मतदाता हैं. जीत-हार में इनकी अहम भूमिका होती है. विश्लेषकों का मानना है कि रंजीत कुमार यादव को उम्मीदवार बनाये जाने पर यादव मतों की गोलबंदी भाजपा के पक्ष में हो जा सकती है.

न्यूज़ डेस्क

Author at DUMRAON NEWS EXPRESS

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