राजकीय मध्य विद्यालय घेउरा की सहायक शिक्षिक सह राज्य स्वास्थ्य समिति पटना, जिला मास्टर ट्रेनर रमीना कुमारी के नेतृत्व में निकली जागरूकता रैली
औरगाबांद। महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. उक्त बातें राजकीय मध्य विद्यालय घेउरा की सहायक शिक्षिक सह राज्य स्वास्थ्य समिति पटना, जिला मास्टर ट्रेनर रमीना कुमारी ने कही।
मंगलवार को विद्यालय परिसर से विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर जागरूकता रैली निकाली गई. प्रधानाध्यापक लाल मोहन प्रसाद ने हरी झंडी दिखाकर रैली का रवाना किया. रैली विद्यालय के पोषण क्षेत्र में भ्रमण करते हुए पुनः विद्यालय में पहुंचा.
सहायक शिक्षिका सह जिला मास्टर ट्रेनर ने कहां कि इस दिवस का उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणाओं को दूर करना, महिलाओं और किशोरियों को माहवारी प्रबंधन संबंधी सही जानकारी देना है। जागरुकता रैलियां निकालकर किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान लोगों ने लाल बिंदी भी लगाए हुए थे।
-क्या है माहवारी
सहायक शिक्षिका रमीना कुमारी ने कहां कि माहवारी नौ से 13 वर्ष की लड़कियों के शरीर में होने वाली एक सामान्य हार्मोनल प्रक्रिया है। इसके फलस्वरूप शरीर में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया सभी लड़कियों में किशोरावस्था के अंतिम
चरण से शुरू होकर (रजस्वला) उनके संपूर्ण प्रजनन काल (रजोनिवृत्ति पूर्व) तक जारी रहती है। आज भी बहुत सी किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल नहीं जाती हैं। महिलाओं को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में झिझक होती है। आधे से ज्यादा लोगों को लगता है कि मासिक धर्म अपराध है।
-मासिक धर्म को लेकर जागरूक होना जरूरी
डा. सजनी प्रिया कहती हैं कि मासिक धर्म के बारे में बताने वाली सबसे अच्छी जगह स्कूल हैं। यहां इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर चर्चा की जा सकती है। साथ ही जागरूक और उत्साही शिक्षकों की जरूरत है, जो विद्यार्थियों को मासिक धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकें।
वह कहती हैं कि घर में बच्चियों की मां भी इस बारे में अपनी सोच बदलें। इस बारे में अपनी बेटियों को ठीक से बताएं, ताकि उनकी बेटी को किसी के सामने शर्मिंदा न होना पड़े।
-रेड डॉट बनाकर लोगों को किया गया जागरूक
इस दौरान समुदाय के लोगों के अपने अपने हाथों में ‘रेड डॉट’ (लाल बिंदी) बनाकर एवं जागरुकता भरे नारों के माध्यम से विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने एवं इस विषय पर समाज को जागृत एवं संवेदनशील करने का कार्य किया।