बेतिया। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय बेतिया में एसीएमओ डॉ रमेश चंद्र द्वारा रोगियों को दिव्यांगता प्रमाण दिया गया। एसीएमओ डॉ रमेश चंद्र ने कहा कि कुष्ठ रोग जीवाणु से होता है, समय से इलाज होने पर यह पूर्णतः ठीक हो जाता है। समय से इलाज नहीं होने पर दिव्यांगता आती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुष्ठ रोग की दवा एमडीटी का नि:शुल्क वितरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि माइक्रोबैक्टीरियम लेप्राई जीवाणु द्वारा पनपा लेप्रोसी एक दीर्घ कालीन संक्रामक रोग है। जो किसी भी उम्र में हो सकता है और धीमी गति से फैलता है। इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में रोग के लक्षण दिखने में लगभग तीन से चार साल तक का समय लग जाता है और आंशिक या सम्पूर्ण विकलांगता दे सकता है। उन्होंने बताया कि समुदाय के हर व्यक्ति से कुष्ठ रोग की जानकारी देने की अपील की जा रही है। इस अवसर पर एसीएमओ डॉ रमेश चंद्र, डीएलओ डॉ नवल किशोर प्रसाद, फिजियोथेरेपिस्ट डॉ दीपक कुमार, विजय कुमार रावत व अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।
63 रोगियों को मिला दिव्यांगता प्रमाण पत्र
वर्ष 2022-23 में 63 रोगियों के बीच दिव्यांगता प्रमाण पत्र का वितरण हुआ है। जिला कुष्ठ रोग पदाधिकारी डॉ नवल किशोर प्रसाद ने बताया कि कुष्ठ रोग में दो तरह के मरीज मिलने की संभावना रहती है। पहला पीबी यानी जिस मरीज को एक से पांच जगहों पर सुन्ना दाग होता है। उन्हें छह माह और दूसरा एमबी यानी जिन्हें पांच से अधिक जगहों पर सुन्ना दाग, उन्हें 12 माह तक दवा का सेवन करना जरूरी होता है। तभी बीमारी को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सामान्य मरीजों के लिए पीएचसी स्तर पर समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जबकि, गंभीर मरीजों को जिला स्तरीय अस्पताल भेजा जाता है।
कुष्ठ के लक्षण
-चमरी पर दाग व सूनापन।
-चेहरे पर तेलिया तामिया चमक।
-तंत्रिका में सूजन व मोटा होना।
-त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे, जो चपटे और फीके रंग के दिखाई देते हैं।
-पैरों के तलुओं पर ऐसा घाव जिसमें दर्द न हो।
-मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं।
-आंखों में समस्याएं हो जाती हैं, जिनसे अंधापन की नौबत भी आ जाती है।
-हथेली और तलवों पर सुन्नपन होना।
-कुष्ठ रोग के लक्षण दिखने में 2 से 5 वर्ष तक का समय लग सकता है।
-हाथों और पैरों का अपंग होना।