मुजफ्फरपुर : वेदना और अनुभव कर बयां, चैंपियन टीबी उन्मूलन में निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका

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मुजफ्फरपुर। जिसने वेदना सही हो, जीने के लिए संघर्ष किया हो उसके पास अनुभव का भंडार होता है। अपने इन्हीं अनुभवों को टीबी सर्वाइवर से टीबी चैंपियन बने लोग टीबी मरीजों के बीच बांटते हैं। जिसकी बदौलत वह भी टीबी जैसी गंभीर बीमारी से उबरने में सक्षम होते हैं। फिलहाल जिले में कुल 7888 टीबी मरीज जिले में इलाजरत हैं। इसके अलावा सैंकड़ों टीबी मरीज इन्हीं टीबी चैंपियन की मदद से ठीक भी हुए हैं।

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उपेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि 24 टीबी से ठीक हुए युवाओं को टीबी चैंपियन बनाया गया था। जिन्हें टीबी पर प्रशिक्षित भी किया गया। अभी इसमें से 21 टीबी चैंपियन महत्वपूर्ण रूप से सक्रिय हैं। जिनके योगदान को टीबी उन्मूलन की दिशा में कम नहीं आंका जा सकता।  वहीं विभाग साल में एक से दो बार टीबी के सक्रिय मरीजों की खोज करता है। इसके अलावा प्राइवेट चिकित्सक भी टीबी के मरीजों की खोज में सहायता कर रहे हैं। 

अपनी कहानी को बताते हैं जुबानी

मुजफ्फरपुर डीटीसी में टीबी चैंपियन के रूप में कार्य कर रहे दिवाकर  कहते हैं, टीबी मरीज होने के दौरान हमें जिन कठिनाइयों का अनुभव किया, उसे आधार मानकर हम टीबी मरीजों की काउंसलिंग करते हैं। विभाग से मिले टीबी मरीजों के नाम व पते पर हम उनके कॉल करते हैं, गृह भ्रमण काउंसलिंग करते हैं। उन्हें मिल रही दवाओं और सुविधाओं की जानकारी लेते हैं। कमी होने पर सुविधाओं को पूर्ण करते हैं। टीबी चैंपियन कुल 10 तरह की सेवाओं का लाभ किसी भी टीबी मरीज को देते हैं।

उपलब्धि है हर टीबी मरीज का कोर्स पूरा करना

कुढ़नी में टीबी सपोर्ट हब में काउंसलिंग करने वाले टीबी चैंपियन जगन्नाथ राय का कहना है कि टीबी मरीज अपना कोर्स जरूर पूरा करे। वह प्रत्येक दिन दवाई खाए। इसके लिए हम उनकी काउंसलिंग भी करते हैं। कोई एक भी टीबी मरीज अपनी दवाई के कोर्स को पूरा कर लेता है यह हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है और हमारा अनुभव इसमें काम आता है। 

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घर वालो की भी रक्षा करते हैं चैंपियन

सरैया के टीबी चैंपियन रविन्द्र किशोर कुमार कहते हैं, एक टीबी चैंपियन की यह भी जिम्मेदारी होती है कि वह जिस घर में टीबी मरीज है उस घर के लोगों में संदिग्ध मरीज की जांच सुनिश्चित कराए और घर के अन्य सदस्यों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी की दवा दे,ताकि घर के सदस्य टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित न हों। वहीं टीबी में कार्य कर रही सहयोगी संस्था वर्ल्ड विजन के जिला प्रतिनिधि दिनकर चतुर्वेदी कहते हैं कि मेरी संस्था ने करीब टीबी मरीजों के घरों के 10 हजार छह सौ लोगों की एक्स रे कराई है। जिसमें 32 संदिग्ध भी मिले हैं। 

जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर चलाते हैं जागरूकता

रीच संस्था जो टीबी चैंपियन को साथ लेकर जिले में टीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, उसके डीसी गौहर कहते हैं कि टीबी चैंपियन जनप्रतिनिधियों के साथ ग्राम सभा का आयोजन करते हैं। इसके अलावे टीबी चैंपियन्स के 17 लोगों की ऐसी टीम है जो कम्युनिकेशन स्किल के माध्यम से लोगों को टीबी पर नुक्कड़, पेंटिंग और स्लोगन के माध्यम से जागरूक करती है।  यह समाज में टीबी पर फैले कलंक और भेदभाव को भी हटाने का काम कर रहे हैं।

क्या कहते हैं पेशेंट

मुशहरी के 52 वर्षीय टीबी मरीज रामविलास कुशवाहा कहते हैं वह पिछले सात महीनों से दवा का सेवन कर रहे हैं, उन्हें इसी वर्ष टीबी का पता चला। टीबी चैंपियन उनकी डोज और दवा के बारे में हमेशा पूछते रहते हैं। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर वह उन्हें जाकर अस्पताल में दिखाते हैं। अब उन्हें पहले से काफी आराम है। वहीं कुढ़नी के कान्हू चंद्रवंशी कहते हैं वह चार महीनों से टीबी चैंपियन जगन्नाथ राय की देखरेख में दवा का सेवन कर रहे हैं और अब उनका स्वास्थ्य ठीक है,पर उन्हें अभी दो महीने और दवा खानी है।

छह टीबी सपोर्ट हब हैं संचालित

रीच के गौहर कहते हैं डीटीसी, मुशहरी, कुढ़नी, कांटी, मीनापुर और गायघाट में टीबी सपोर्ट हब संचालित है। इसमें टीबी चैंपियन बैठते हैं। वहां वे पॉजिटिव हुए लोगों की काउंसलिंग भी करते हैं। इसके अलावे 11 रैपिड रिस्पांस टीम गठित हैं जो टीबी पेशेंट की मदद के लिए हैं।  टीबी चैंपियन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की वह कड़ी हैं जो कहीं न कहीं टीबी के मरीजों को कार्यक्रम से जोड़ती है। टीबी मरीजों का यही जुड़ाव टीबी उन्मूलन के लिए सफलता का परिचायी होगा।

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