जिले में नाइट ब्लड सर्वे के लिए कर्मियों को किया जाएगा प्रशिक्षित, बारीकियों से कराया जाएगा अवगत

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बक्सर समेत सूबे के 13 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शुरू होगा एमडीए

राज्यस्तरीय प्रशिक्षण के लिए जिलों के दो- दो लैब टेक्नीशियन का होगा चयन

बक्सर, 30 अप्रैल| बक्सर जिला समेत पूरे राज्य से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। इसके लिए बक्सर समेत राज्य के 13 जिलों जल्द ही सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम की शुरुआत की जानी है। लेकिन, इसके पूर्व 13 निर्धारित जिलों में नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) किया जाना है। जिसकी तैयारी जिले में शुरू की जा चुकी है।

एमबीएस के लिए सभी जिलों से दो- दो लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षित किया जाना है। जिनका चयन कर राज्य मुख्यालय के फाइलेरिया विभाग को जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि, राज्य स्तर से प्रशिक्षण प्राप्त कर जिले के सभी लैब टेक्नीशियन को एमबीएस की बारीकियों से अवगत कराएंगे।

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जिससे जिले में माइक्रो फाइलेरिया रेट के आधार पर एमडीए का संचालन सुनिश्चित किया जाएगा।
सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के अनुसार इस वर्ष भी 10 अगस्त से आपके जिले में एमडीए की गतिविधि करना निर्धारित है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत एमडीए के पूर्व किए जाने वाले एमबीएस गतिविधि सहित अन्य गतिविधियों की तैयारी को प्रारम्भ किया जाना है। जिसके लिए जल्द ही जिले के सभी प्रखंडों में रैंडम और सेंटिनल का चयन भी किया जाएगा। साथ ही, अन्य आवश्यक गतिविधियों की तैयारी प्रारम्भ की जाएंगी। ताकि एनबीएस और एमडीए के तहत क्रायक्रमों का संचालन समय से किया जा सके।

प्रखंड स्तर के लैब टेक्नीशियन को किया जाएगा प्रशिक्षित

सिविल सर्जन ने बताया कि राज्य में 10 फरवरी से चलाए जाने वाले एमडीए चक्र में प्रखंड स्तर से एक एक लैब टेक्नीशियन का एनबीएस के लिए प्रशिक्षण जिले में या समीपस्थ स्थित मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी या पैथोलॉजी विभाग से कराया गया था।

इसलिए 10 अगस्त से शुरू होने वाले एमडीए चक्र में भी इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही साथ प्रत्येक जिलों से 2 लैब टेकनीशियन का एनबीएस के लिए एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण भी शीघ्र ही आयोजित किया जाएगा। उसके बाद जिला स्तर पर मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जाएगी।

जिसमें लैब टेक्नीशियन को बताया जाएगा कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान किस प्रकार खून के सैंपल लिए जाते हैं और किस प्रकार से माइक्रोस्कोप में जांच की जाती है। साथ ही, स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को एनबीएस के पूर्व की जाने वाली गतिविधियों से भी अवगत कराया जाएगा।

माइक्रोफाइलेरिया दर के आधार पर चलेगा एमडीए अभियान

एसीएमओ सह डीएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से जिले में माइक्रो फाइलेरिया रेट के प्रसार का पता लगाया जाता है। साथ ही, फाइलेरिया मरीजों का पता लगाने के लिए एनबीएस महत्वपूर्ण माध्यम है। सर्वे के दौरान जिन इलाकों व गांवों में एक प्रतिशत से अधिक माइक्रोफाइलेरिया के संक्रमण की पुष्टि होती है, वहां पर एमडीए अभियान चलाया जाता है।

एक प्रतिशत से कम आने पर उस जगह पर एमडीए अभियान नहीं चलता। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है। जिसकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए। कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना, शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन, हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) तथा महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन,

पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है। संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं। जिसके कारण इसका पता लोगों को देर से चलता है।

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