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सीतामढ़ी – भयंकर बीमारी का आसान बचाव, 10 फरवरी से खाएं फाइलेरिया रोधी दवा : डॉ रविन्द्र कुमार यादव

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सीतामढ़ी। फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इससे बचने का एकमात्र उपाय सर्वजन दवा सेवन के तहत मिलने वाली फाइलेरिया रोधी दवाओं की खुराक है। अगर आप स्वस्थ हैं, फिर भी 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया रोधी दवाओं की खुराक अवश्य लें। यह कार्यक्रम 14 दिनों का होगा। ये बातें सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च और जिला स्वास्थ्य समिति की तरफ से आयोजित मीडिया कार्यशाला में जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने गुरुवार को कही। 

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ रविन्द्र कुमार ने तकनीकी सत्र से की, जिसमें पीपीटी के माध्यम से फाइलेरिया की जिले में वास्तविक स्थिति, इसके कारण और निदान पर विस्तार से चर्चा की। डॉ यादव ने कहा कि अगर हम एमडीए के तहत मिलने वाली दवा की खुराक का लगातार पांच साल तक सेवन करें तो निश्चित ही फाइलेरिया के संक्रमण को रोका जा सकता है। फाइलेरिया रोधी दवा की खुराक को कुछ खाने के बाद ही खाएं। कार्यशाला के दौरान जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम की सफलता में मीडिया की महती भूमिका होती है।

सामाजिक सरोकार के तहत भी फाइलेरिया जैसे गंभीर विषय पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए अगर पत्रकारिता की जाए तो परिणाम भी सकारात्मक होगा। मीडिया ही अंतिम पायदान पर रह रहे लोगों तक पहुंचता है इसलिए भी इस विषय पर पत्रकारिता उत्सुकता से करने की आवश्यकता है। कार्यशाला के अंत में मीडिया के लोगों ने भी फाइलेरिया मुक्ति के लिए 10 फरवरी से दवा खाना है, फाइलेरिया मुक्त सीतामढ़ी बनाना है का नारा लगाया।

सर्वजन दवा सेवन के लिए विभाग तैयार

शुक्रवार से 14 दिन चलने वाले सर्वजन दवा सेवन के तहत एमडीए कार्यक्रम के लिए विभाग पूरी तरह तैयार है। डॉ यादव ने कहा कि जिले में नाइट ब्लड सर्वे का कार्य बहुत पहले ही किया जा चुका है। यहां के दो ब्लॉक में फाइलेरिया की प्रसार दर एक से भी नीचे थी। आशा है कि हम कुछ वर्षों में सभी प्रखंडो में प्रसार दर को एक से नीचे ले आएं। यहां जिस लक्षित आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा खिलानी है उसकी संख्या लगभग 45 लाख दो हजार छह सौ पचहत्तर है। दवा खिलाने के लिए 1579 टीम लगाए गए हैं जिसमें 3158 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर  हैं।

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वहीं इनकी मॉनिटरिंग के लिए 157 सुरवाइजर लगाए गए हैं।  किसी भी एडवर्स रिएक्शन से निपटने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम का भी गठन किया गया है। ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के पास माइक्रो प्लान में रैपिड रिस्पांस टीम के अलावे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएचएम, बीसीएम तथा एमओआईसी का भी नंबर उपलब्ध रहेगा, जिसका इस्तेमाल आपातकाल में ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर कर सकती है। इसके अलावा भी प्रत्येक टीम के पास रैपिड रिस्पांस टीम का नंबर दिया गया है। डॉ यादव ने कहा कि विशेष कार्ययोजना के तहत आवासीय विद्यालय, जेलों में भी फाइलेरिया रोधी खुराक खिलाई जाएगी। 

दवा खाने पर चक्कर या उल्टी मतलब माइक्रो फाइलेरिया की शरीर में उपस्थिति

कार्यशाला के दौरान डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने कहा कि फाइलेरिया रोधी खुराक के शरीर में जाने पर माइक्रोफाइलेरिया नष्ट होने लगते हैं। जिससे शरीर में कुछ अवांछनीय बर्ताव होता है जो उल्टी, चक्कर, सिर दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं, पर इससे घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है यह स्वयं एक दो घंटे में खत्म हो जाते हैं। 

फाइलेरिया को उपेक्षित रोगों की श्रेणी से किया गया बाहर

कार्यशाला के दौरान डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने कहा कि कहा कि फाइलेरिया को अब उपेक्षित श्रेणी के रोग से बाहर किया जा चुका है। वहीं इसके उन्मूलन के वर्ष को भी 2030 से घटाकर 2027 कर दिया गया है। अब वर्ष में एक बार यह कार्यक्रम 10 फरवरी और 10 अगस्त को चलेगी। कार्यशाला के दौरान जिला सूचना एवं संपर्क पदाधिकारी कमल सिंह, जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव, लेखपाल रजनीश, भीडीसीओ प्रिंस कुमार, कमलेश, राजू रमन, राजू रंजन, प्रेस क्लब के अध्यक्ष सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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