सदगुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के तीसरे दिन अखंड हरिकीर्तन व दोपहर में मिथिला प्रसंग की हुई कथा

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बक्सर | सदर प्रखंड के हनुमत धाम कमरपुर गांव में आयोजित 15वें सदगुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव का तीसरा दिन श्री अखंड हरिकीर्तन एवं दोपहर श्री भक्तमाल के सामूहिक पाठ के साथ शुभारंभ हुआ। वहीं अयोध्या धाम से पधारे रामकथा के सुमधुर व्यास अनंत श्री विभूषित श्री आचार्य नरहरि दास जी महाराज ने श्रीराम कथा में मिथिला प्रसंग की कथा सुनाई। उन्होंने ने बताया कि रामचरित मानस की प्रात काल उठी के रघुनाथा, मात-पिता गुरु नावहीं माथा।। को हर लोगों को गांठ बांध लेना चाहिए।

नित्य सुबह उठकर अपने माता, पिता एवं गुरु को प्रणाम करके उनके आज्ञानुसार कार्य करना चाहिए, जिससे भविष्य अत्यंत उज्जवल हो जाता है। ऐसा करने से उनका आयु, विद्या, यश और बल में वृद्धि होती है। भगवान राम के बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था तक के प्रसंग बड़़े ही सरल एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। कहा कि रघुनाथ जी का चरित्र हमेशा सबके लिए अनुकरणीय है। प्रभु हमेशा अपने भक्तों के प्रबल प्रेम के वश में रहते हैं। अपने भक्तों को सुख और आनंद देंते हैं।

आके बक्सर में रघुवर कमाल कइले

उन्होंने ने कथा में कहा कि जब महर्षि विश्वामित्र मुनि राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर बक्सर लेकर आये। तब तड़का सुबाहु आदि राक्षसों को समाप्त करने के बाद रामजी यहां पांच दिनों तक रहे। जो आज भी विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी मेला से जाना जाता है। बक्सर विद्वानों की भूमि रही है। वही मामा जी महाराज द्वारा रचित “आके बक्सर में रघुवर कमाल कइले” गीत से पूरा भक्त झूम उठे।

जिस तरह से सूर्य चमकते है उसी के भांति रघुवर बक्सर आकर सूर्य की भांति चमकने लगे। आगे मिथिला प्रसंग का वर्णन करते हुए कहे कि श्री लखन लाल जी कभी फाटक, कभी प्रभु तो कभी गुरुदेव की ओर देखकर फिर नीचे धरती की ओर देखकर मुस्कुरा रहें हैं। यह दृश्य महर्षि विश्वामित्र देख रहे हैं। आज दोनों भाई श्री राम लखन लाल जी कभी फाटक कभी आपस में एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुराते हुए धरती की ओर निहारने लगते हैं। इससे तो ऐसा लगता है कि ये दोनों कुछ कहना चाहते हैं, किन्तु शील संकोच के मारे कह नहीं पा रहे हैं।

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अतः मेरी तरफ से इन्हें अनुमति मिल जाय, ताकि अपने मनोगत भाव को व्यक्त कर सकें। दोनों भाई की चेष्टाओं से ऐसा लगता है कि कुछ कहना चाह रहे हैं। क्या बात है ? मेरी तरफ से अनुमति है । कहिये क्या कहना चाहते हैं ? फिर राम जी कहे लखन चाह रहे है मिथिला नगरी का दर्शन किया जाय। फिर गुरुदेव भगवान की अनुमति लेकर नगर के बालकों के साथ श्रीराम और लखन लाल जी नगर दर्शन के लिए निकल जाते हैं।

दोनों भाइयों को देख मंत्रमुग्ध हुई जनकपुर की नारी

आगे कहे कि झरोखों से जनकपुर की नारियाँ दोनों कुमारों की शोभा देखकर प्रफुल्लित हो रही हैं और हर ओर चर्चाओं में अवध के कुमार ही छाये हैं। महिलायें शगुन साध रही हैं कि इन दोनों में से ही यदि किसी का सीता जी से विवाह हो जाये तो कितना अच्छा होगा। जब इनकी हमारे राजा से रिश्तेदारी हो जायेगी तो इनका जनकपुर में आना जाना बना रहेगा और इस बहाने हम सभी को भी उनके मनभावन दर्शन प्राप्त होते रहेंगे.

झरोखा सखियों के कर्णप्रिय गीतों ने अच्छा समां बांधा। देखन नगर चले युगल किशोर भयो मिथिला में शोर। जनकपुर की गली गली में विहरथ युगल किशोर, दोनों है चित चोर।। , मिथिला की गलियां गलियां घूमे दोउ छलिया, देखु सहेलियां हे, एक अहै श्याम एक गोर।।आदि श्रीमामा जी महराज द्वारा रचित पदों के गायन से पूरा पंडाल गदगद हो गया। कार्यक्रम में मामा जी महाराज कर प्रथम शिष्य श्री रामचरित्र दास जी महाराज, सिया दीदी, विनीता दीदी, नीतीश सिंह, कुंदन पांडेय, श्री ठाकुर पांडेय, प्रदुम शुक्ला, अभय पांडेय, रामु जी, दिलीप, प्रिंस, रामकृपाल सिंह, रविलाल, आशुतोष दास त्यागी समेत कमरपुरवासी उपस्थित रहे।

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