बेतिया : फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का हुआ प्रशिक्षण

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बेतिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर में 10  से 24 फरवरी तक चलने वाले एमडीए  कार्यक्रम को लेकर  आशाओं को प्रशिक्षण दिया गया है । स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं पीसीआई के एसएमसी रजनीश कुमार वर्मा के द्वारा रामनगर की  आशाओं को प्रशिक्षण दिया गया । इस दौरान रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जो शरीर को अपंग और कुरूप करने वाली बीमारी है। दीर्घकालीन विकलांगता में यह बीमारी विश्व में दूसरे स्थान पर है।

फाइलेरिया जानलेवा नहीं, पर गम्भीर बीमारी है

लिम्फैटिक फाइलेरिया को आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी का  का संक्रमण आमतौर पर बचपन में ही हो जाता है।  संक्रमण के बाद 5 से 15 वर्ष के बाद मनुष्यों में यह हाथीपांव, हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में दिखाई देता है।फाइलेरिया जानलेवा बीमारी नहीं है लेकिन यह प्रभावित व्यक्तियों एवं उसके परिवार पर गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव डालता है। इसका प्रभाव भारत के 257 जिलों में है तथा बिहार के सभी 38 जिले प्रभावित हैं ।

प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक विनोद कुमार सिंह के द्वारा बताया गया कि एमडीए  कार्यक्रम के दौरान सभी दलों को एक फैमिली रजिस्टर उपलब्ध करायी  जाएगी।  जिनमें वह अपने कार्य क्षेत्र के  प्रत्येक घर के प्रत्येक सदस्य का विवरण लिखेंगे।  साथ ही  फाइलेरिया मरीज की लाइन लिस्टिंग भी इस रजिस्टर के माध्यम से होगी । इस रजिस्टर को पूरी  सावधानी के साथ भरना है। प्रत्येक 10 टीमों पर एक सुपरवाइजर रहेंगे। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि सभी लाभार्थियों को आशा के द्वारा डीईसी एवं  अल्बेंडाजोल की दवा घर-घर जाकर  खिलानी  है।

इस प्रकार खिलाई जाएगी दवा

रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव को 2 से 5 वर्ष के बच्चों को डीईसी की 1 गोली और  अल्बेंडाजोल की 1 गोली, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को डीईसी की 2 गोली व  अल्बेंडाजोल की 1 गोली तथा 15 वर्ष से ऊपर के लोगों को डीईसी की 3 गोली व  अल्बेंडाजोल की 1 गोली आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने सामने खिलाई जाएगी।

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दवा का हल्का साइड इफेक्ट हो सकता है, घबराएं नहीं

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि खाली पेट दवा नहीं खानी है। उन्होंने दवा खाने से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताया कि यह दवा खाने से शरीर के अंदर मरते हुए कीड़ों की वजह से कभी-कभी किसी व्यक्ति को सिर दर्द, बुखार, उल्टी, बदन पर चकते एवं खुजली हो सकती  है । इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह स्वत:  ठीक हो जाएगा। फिर भी ज्यादा दिक्कत होने पर ऐसे लोगों को चिकित्सकों की निगरानी में रखा  जाएगा।

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