शिवहर। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर गुरुवार को जिला स्थित मंगल भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से किया गया। कार्यशाला के दौरान सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, भीभीडीएस व कार्यक्रम में सहयोग दे रहे फाइलेरिया कर्मी को फाइलेरिया से उपचार संबंधी जानकारी दी गई। कार्यशाला में डब्लूएचओ की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. माधुरी देवराज ने प्रशिक्षण दिया। डॉ. माधुरी देवराज ने प्रशिक्षण में आए मरीजों को अपने पैरों को कैसे सुरक्षित रखना है, इसके बारे में भी बताया। प्रशिक्षण में एसीएमओ डॉ. त्रिलोकी शर्मा, सीडीओ डॉ. जेड जावेद, डीएमओ डॉ. सुरेश राम, केयर डीपीओ प्रभाकर कुमार, भीबीडी सलाहकार कामेश्वर प्रसाद समेत स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अन्य अधिकारी शामिल हुए।
फाइलेरिया मरीजों को होती है कई तरह की समस्याएं
डॉ. माधुरी देवराज ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि लिम्फोडिमा को 7 स्टेज में बांटा गया है। शुरुआत में एक से दो स्टेज तक के मरीज को फिर से सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है, लेकिन स्टेज बढ़ जाने पर ठीक नहीं हो सकता है। जैसे-जैसे स्टेज बढ़ते जाता है, यह बीमारी कष्टकारी होता जाता है। मरीज शारीरिक बीमारी के साथ-साथ मानसिक रूप से बीमार होने लगता है, और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। महीना दो महीना में 5 से 7 दिनों के लिए तेज बुखार, विकलांग पैर में दर्द, पैर का लाल होकर फूल जाना आदि समस्याएं भी होती हैं । हाइड्रोसील वाले मरीजों में कई तरह की समस्याओं के अलावा यौन समस्याएं भी होती हैं ।
विश्व मे विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाइलेरिया
डॉ. माधुरी देवराज ने बताया कि फाइलेरिया एक कृमि के कारण होने वाला बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। इस रोग में व्यक्ति के पैरों में इतनी सूजन आ जाती है कि उनका पैर हाथी के पैर के समान मोटा हो जाता है। इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। इसलिए अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखना आवश्यक है तथा वर्ष में एक बार सर्वजन दवा सेवन (आईडीए/एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खाना जरूरी है, जिसको फाइलेरिया हो गया है। उसको स्वउपचार करना अत्यंत जरूरी है।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए हो रहे सार्थक प्रयास
डीएमओ डॉ. सुरेश राम ने कहा कि जिले में स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता के साथ हर स्तर पर सार्थक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाला रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये शुरू होने वाले एमडीए के दौरान सभी योग्य व्यक्ति दवा का सेवन करें, जिससे जिला फाइलेरिया मुक्त हो सके। उन्होंने बताया कि जिले में हुए नाइट ब्लड सर्वे में 3606 लोगों के सैम्पल लिए गए थे। जिसमें से 75 की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है।