बिहारशिक्षासीतामढ़ी

शिक्षिका के स्नेह और समर्पण से बदली छात्रा की तकदीर

रून्नीसैदपुर (सीतामढ़ी)। मध्य विद्यालय गंगवारा : शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य निर्माता भी होते हैं। इस कहावत को सत्य साबित किया मध्य विद्यालय गंगवारा की शिक्षिका अंजु कुमारी ने। उनके स्नेह और समर्पण ने एक पिछड़ी छात्रा को शैक्षणिक सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की।

एक प्रेरणादायक शुरुआत

यह घटना तब की है जब अंजु कुमारी को एक दिन तीसरी कक्षा में पढ़ाने जाना पड़ा। यह उनकी निर्धारित कक्षा नहीं थी, लेकिन शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण उन्हें वहां भेजा गया। वहीं उनकी मुलाकात 12 वर्षीय छात्रा चमेली से हुई। चमेली का नामांकन छठी कक्षा में हुआ था, लेकिन बुनियादी शिक्षा की कमी के कारण उसे तीसरी कक्षा में बैठाया गया था। कक्षा में वह चुपचाप, गुमसुम बैठी थी, मानो उसे अपनी स्थिति पर शर्मिंदगी महसूस हो रही हो।

शिक्षिका और छात्रा के बीच आत्मीय संबंध

अंजु कुमारी ने जब चमेली को अपने पास बुलाकर उससे उसके परिवार और पढ़ाई के बारे में बातचीत की, तो लड़की धीरे-धीरे सहज होने लगी। बातचीत के दौरान चमेली ने उन्हें “अनु दीदी” कहकर पुकारा। यह संबोधन केवल शब्द नहीं था, बल्कि उनके बीच एक आत्मीय रिश्ता जोड़ने का माध्यम बन गया। इसी अपनत्व ने छात्रा को खुलकर सीखने के लिए प्रेरित किया।

एक सप्ताह में चमत्कारी सुधार

शिक्षिका ने तय किया कि सबसे पहले चमेली को बुनियादी शिक्षा दी जाए। उन्होंने उसे हिंदी पढ़ना और गणित में जोड़-घटाव एवं गुणा करना सिखाना शुरू किया। महज एक सप्ताह के भीतर चमेली ने ये सभी कौशल सीख लिए। अंजु कुमारी को यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि इतनी जल्दी यह छात्रा सीखने में सक्षम कैसे हो गई। यह उनके अपनत्व भरे पढ़ाने के तरीके का असर था या फिर “दीदी” शब्द से उत्पन्न आत्मीयता—इसका उत्तर स्वयं चमेली के भीतर छिपा था।

शिक्षिका के मार्गदर्शन में चमेली का निरंतर विकास

समय बीतता गया, लेकिन शिक्षिका और छात्रा के बीच यह विशेष रिश्ता बना रहा। अंजु कुमारी लगातार चमेली का मार्गदर्शन करती रहीं और उसकी पढ़ाई में रुचि को बनाए रखा। उनके सहयोग से चमेली ने धीरे-धीरे अपनी कक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना शुरू किया। वह न केवल पढ़ाई में आगे बढ़ी बल्कि आत्मविश्वास से भरपूर हो गई।

आज चमेली इंटर की छात्रा बनी

आज वही चमेली इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही है। जो बच्ची कभी तीसरी कक्षा में भी असहज महसूस करती थी, वह अब उच्च शिक्षा की राह पर अग्रसर है। यह उसके निरंतर प्रयास और शिक्षिका के अटूट समर्पण का प्रमाण है।

गर्व और प्रेरणा की कहानी

चमेली की यह सफलता उसकी शिक्षिका के लिए गर्व की बात है। अंजु कुमारी केवल एक शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक सच्ची मार्गदर्शक बनकर उभरीं। उनका यह अनुभव साबित करता है कि सही मार्गदर्शन, स्नेह और समर्पण से किसी भी छात्र की शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। यह कहानी शिक्षा जगत के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।

(रिपोर्ट : मनोज कुमार मिश्रा

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