बक्सर : 2030 तक जिले से फाइलेरिया के उन्मूलन का रखा गया है लक्ष्य, किया जाएगा पूरा

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– फाइलेरिया से निपटने के लिए लोगों को व्यापक स्तर पर किया जाएगा जागरूक
– प्रखंडों में खुली एमएमडीपी क्लिनिक की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
– मरीजों के नियमित फॉलोअप के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स 

बक्सर | जिले से फाइलेरिया को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य समिति ने तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2030 तक फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्य को गति दी जा रही है। हालांकि, फाइलेरिया उन्मूलन में एमडीए एवं एमएमडीपी (रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम) की भूमिका सबसे अहम होती है। एमडीए की सहायता से रोग की रोकथाम एवं एमएमडीपी की सहायता से हाथीपांव का प्रबंधन किया जाता है। फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रखंड स्तर पर एमएमडीपी क्लिनिक स्थापित की जा रही हैं। ताकि, फाइलेरिया के मरीजों को किट के वितरण के साथ उन्हें हाथीपांव से जल्द उबरने के लिए किट का इस्तेमाल, व्यायाम के साथ उनकी नियमित फॉलोअप किया जा सकेगा। फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में एमएमडीपी क्लिनिक मिल का पत्थर साबित होगी।

दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है फाइलेरिया

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, फाइलेरिया दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। इस बीमारी में किसी भी आयु वर्ग में फाइलेरिया के संक्रमण द्वारा शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन हो जाती है, जिसके कारण चिरकालिक रोग जैसे, हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और दूधिया सफेद पेशाब (काईलूरिया) से ग्रसित लोगों को भीषण दर्द के साथ मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। फाइलेरिया विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है। इस कारण फाइलेरिया प्रबंधन एवं उन्मूलन की दिशा में मरीजों को न्यूनतम पैकेज ऑफ केयर प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है। जिसमें फाइलेरिया संक्रमण का उपचार, एक्यूट अटैक का उपचार, हाथीपांव का प्रबंधन एवं हाइड्रोसील की सर्जरी शामिल हैं ।

शरीर के कई अंगों में हो सकती है यह बीमारी

फाइलेरिया बीमारी लोगों को परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है जो अन्य मच्छरों के जैसे ही लोगों को काट कर अपना शिकार बनाता है। यह मच्छर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को काटकर खुद संक्रमित हो जाता  और उसके बाद दूसरे व्यक्ति को काटने पर उसे फाइलेरिया ग्रसित कर देता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों में हो सकती है। यह बीमारी मुख्य रूप से व्यक्ति के पैर या अंडकोष  को प्रभावित करता है जिसे लोग आमतौर पर हाथीपांव व हाईड्रोसील (अंडकोश का सूजन) कहते हैं। यह बीमारी महिलाओं के स्तन और जननांग को भी ग्रसित कर सकता है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। फाइलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। शुरुआत से इलाज करवाने से लोग फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।

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फाइलेरिया के मच्छरों से ऐसे करें बचाव

– रात या दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें 
– घर के अंदर एवं बाहर गंदगी नहीं होने दें 
– मच्छरों से बचने के लिए शरीर के खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें 
– मच्छरों से बचने के लिए शरीर पर फुल स्लीव के कपड़े का इस्तेमाल करें

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