मुजफ्फरपुर – एईएस की तर्ज पर होगा फाइलेरिया जागरूकता के लिए प्रचार प्रसार : डीडीसी

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मुजफ्फरपुर। कोविड वैक्सीनेशन और एईएस में जिस तरह जागरुकता फैलाई गयी। जिसका सकारात्मक परिणाम रहा कि हम एईएस को कंट्रोल और वैक्सीनेशन की संख्या को बढ़ा पाए, ठीक उसी तर्ज पर फाइलेरिया का प्रचार -प्रसार और लोगों को जागरूक करना है, ताकि 2023 तक हम जिले को फाइलेरिया उन्मुक्त कर पाएं। यह बातें समाहरणालय सभागार में डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने डिस्ट्रीक्ट टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शनिवार को कही। उन्होंने कहा कि हमें ठीक एईएस की तर्ज पर लोगों को मोटिवेट करना है। वहीं कार्यक्रम की शुरूआत में जिला वेक्टर बॉर्न रोग पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि इससे पहले एमडीए यानी सर्वजन दवा सेवन का कार्यक्रम जिला स्तर से होता था। अब इसकी अवधारणा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से हुई है। वहीं इस कार्यक्रम को अब नीति आयोग का भी साथ मिल रहा है।

नीति आयोग ने डीडीसी द्वारा प्रदर्शित रिपोर्ट जो फाइलेरिया कार्यक्रम में जिले के किए गए कार्याे की प्रशंसा भी की थी। वहीं जिले ने राज्य में सबसे पहले नाइट ब्लड सर्वे के कार्य को भी किया। यह कार्यक्रम  की सफलता ने सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के लिए नई उम्मीद दी है। इसके साथ यह सबसे सुखद है कि अब फाइलेरिया के रोगी के बने ग्रुप के द्वारा फाइलेरिया उन्मुलन के लिए कार्य किया जा रहा है। यह वह लेाग हैं जिन्होंने फाइलेरिया का दुख झेला है। यह ग्रुप राजु, लक्ष्मी जैसे नामों से संगठित किए गए हैं।  बैठक में सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा ने कहा कि इस बार लोगों को आइवरमेक्टिन नाम की दवा भी खिलाई जाएगी, जिसे डोज पोल के आधार पर दिया जाएगा। इसके अलावा लोगों अपने सामने दवा खिलाना एक तरह की चुनौती है। वहीं मॉनिटरिंग में हमें यह देखना होगा कि दवा सामने खिलाई जा रही है या नहीं। 

नगर निगम का वाहन से होगा ऑडियो प्रचार

डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि फाइलेरिया जागरूकता पर एक ऑडियो क्लिप है। जिसका उपयोग शहरी क्षेत्रों में नगर निगम के वाहन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ई-रिक्शा से कराया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों में होने वाले चेतना सत्र में बच्चों को फाइलेरिया पर जागरूकता संबंधी बातें बताई जाएगी, कॉपियों में लिखवाया जाएगा, जिस पर उनके अभिभावक के हस्ताक्षर होगें। 

एडवर्स रिएक्शन के बारे में बताएं

डीडीसी ने कहा कि हमें इस बार दवाओं का एडमिस्ट्रेशन करना है डिस्ट्रीब्यूशन नहीं। लोगों को सामने ही दवाएं खिलानी होगी। दवाएं उम्र और लंबाई के आधार पर दी जाएगी। सबसे जरूरी बात है कि हमें लोगों दवाई देने के साथ इसके विपरीत प्रभाव जो कि तात्कालिक तथा अस्थायी है उन्हें बताना होगा।

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एक रात पहले माइक्रोप्लान न दें

डीडीसी ने फाइलेरिया में जीविका द्वारा घर घर रोगियों की खोज तथा काम को सराहते हुए कहा कि कितनी ही बार माइक्रो प्लान को एक रात पहले भेजा जाता है ऐसे में अगर यह माइक्रोप्लान कार्य कर रहे सहयोगियों को देंगे तो वह उस पर कुछ विशेष नहीं कर पाएंगे। ऐसे में हर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का यह दायित्व होगा कि वह कम से कम 4 दिन पहले ही माइक्रोप्लान जिला को भेज दें। ताकि दवा वितरण को आसान और सफल बनाया जा सके। 

स्टीकर का हुआ लोकार्पण

बैठक के दौरान फाइलेरिया जागरूकता पर नए स्टीकर का भी अनावरण हुआ। इसे स्वास्थ्य ,आईसीडीएस तथा अन्य विभागों के वाहनों पर चस्पाया जाएगा।

बिहार से नही तो भारत से नहीं

डीडीसी ने कहा कि बिहार के सभी जिले फाइलेरिया से ग्रसित हैं। पूरे देश के फाइलेरिया मरीज का 25 प्रतिशत तथा 45 प्रतिशत हाइड्रोसील के मरीज सिर्फ बिहार में है। ऐसे में अगर बिहार से फाइलेरिया उन्मूलन बहुत जरूरी है। बैठक में डीडीसी आशुतोष द्विवेदी, सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा, जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार, एसीएमओ डॉ सुभाष प्रसाद सिंह, आईसीडीएस डीपीओ चांदनी सिंह, केयर के डीपीओ सोमनाथ ओझा, जीविका डीपीएम, नगर आयुक्त, जिला परिषद की अध्यक्ष रीना कुमारी पासवान सभी एमओआईसी, बीएचएम तथा पीसीआइ के राज्य प्रमुख अशोक सोनी सहित अन्य विभागों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि मौजूद थे।

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