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मोतीहारी : फाइलेरिया परजीवी की खोज को जिले में होगी नाइट ब्लड सर्वें की शुरुआत 

जिले के पाँच प्रखंडों में रात 8 से 12 बजे के बीच होगी रक्त की जाँच 

माइक्रो फाइलेरिया दर एक प्रतिशत या अधिक होने पर चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान 

मोतिहारी। जिले में फाइलेरिया (हाथीपाँव) रोग के संभावित मरीजों की पहचान के लिए पाँच प्रखंडों के चिह्नित साइटों पर स्वास्थ्यकर्मियों की टीम द्वारा नाइट ब्लड सर्वे अभियान संचालित किया जाएगा। मोतिहारी सदर प्रखंड, घोड़ासहन, रक्सौल, बंजरिया, तुरकौलिया से नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की जाएगी।

इसको लेकर जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रा० स्वा० केन्द्र / नोडल पदाधिकारी, तुरकौलिया, घोडासहन, रक्सौल, बंजरिया एवं मोतिहारी शहरी क्षेत्र- छतौनी एवं बरियारपुर  में  आयोजित होने वाले नाइट ब्लड सर्वे के लिए नये साइट के चयन एवं दल गठन करने के लिए निर्देशित किया है।

वहीं जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि चयनित प्रखंडों में 3 नये साइट यथा दो स्थाई एवं एक अस्थाई साइट का चयन करते हुये प्रत्येक साइट से 300-300 कुल 900 स्लाइड का संग्रहण करना है। नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम के सफल संचालन एवं क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक साइट पर अलग अलग तीन दलों का का गठन किया जाना है।

राज्य के निर्देशानुसार प्रत्येक दल में चार स्वास्थ्यकर्मी होना आवश्यक है। सभी दलों में एक-एक एलटी होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जाँच स्थल पर बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ, जीएनएम, भीबीडीएस, कैंप इंचार्ज एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी रहेंगें। साथ ही संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता, ऑगनवाड़ी, सेविका मोबिलाइजर के रूप में कार्य करेंगी। 

रात के 08 से 12 बजे तक लिए जाते हैं रक्त के नमूने

वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि इस अभियान में रक्त के नमूने रात के 08  से लेकर 12 बजे तक लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि रात में  सैंपल लेने का मुख्य कारण है कि इस समय शरीर में फाइलेरिया के परजीवी ज्यादा एक्टिव होते हैं। ब्लड सैंपल कलेक्शन के बाद 24 घंटे के अन्दर स्टैनिंग की प्रक्रिया को करा लिया जाएगा। 

माइक्रो फाइलेरिया दर 1 प्रतिशत या अधिक होने पर चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान

उन्होंने बताया कि जाँच के दौरान माइक्रो फाइलेरिया दर 1 प्रतिशत या अधिक होने पर सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत की जाएगी। जिसमें 2 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को अल्बेंडाजोल एवं डीईसी की गोली आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में खिलाई जाएगी। 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गंभीर रूप से बीमार, गर्भवती एवम दूध पिलाने वाली माताओं को यह दवा नही खिलाई जाएगी।

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