जिले के 36 साइटों पर प्रति सत्र 3 सौ रक्त के नमूने एकत्र, रीगा के सिरौली पंचायत भवन से हुआ था उद्घाटन
सीतामढ़ी। फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिले में 22 दिसंबर से चलाए जा रहे नाइट ब्लड सर्वे का बुधवार रात्रि समापन हो गया। विदित हो कि इसका उद्घाटन जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा के द्वारा रीगा के सिरौली पंचायत भवन से किया गया था।
जिले के कुल 36 सत्र स्थलों चलाए गए इस कार्यक्रम में हर सत्र स्थलों पर तीन सौ रक्त के नमूने एकत्र किए गए। कुल 10978 सैंपल एकत्रित किए गए। इसके बाद सभी ब्लड सैंपल के स्टैनिंग का कार्य भी कर लिया गया है। माइक्रोस्कोपिक जांच से विभिन्न प्रखंडों में फाइलेरिया के प्रसार दर का पता चलेगा और तदनुसार निरोधात्मक सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम आगामी 10 फरवरी चलाया जाएगा ।
जिले में छह हजार फाइलेरिया मरीज
जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने बताया कि बिहार के सभी 38 जिले फाइलेरिया से ग्रसित हैं और बिहार में अबतक लगभग 2 लाख हाथीपाँव के मरीज चिन्हित किए जा चुके हैं। सीतामढ़ी मे भी 6 हजार से अधिक रोगी चिन्हित किए जा चुके हैं। डॉ रवीन्द्र ने जानकारी दी कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी नामक कृमि के कारण होती है और इसे क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलाया जाता है। ये कृमी शरीर के अन्दर जाकर लसीका तंत्र को बर्बाद कर देते हैं जिसके फलस्वरूप प्रभावित अंग में सूजन होने लगता है। यह अधिकतर पैर, हाथ, स्तन तथा जननांगों को प्रभावित करता है। पैर में सूजन इस तरह बढ़ जाता है कि पैर हाथी के पैर जैसे मोटे हो जाते हैं, इसलिए इसे हाथीपाँव कहते हैं। हाथीपाँव फैलाने वाले सूक्ष्म परजीवी रक्त वाहिनियों मे रात मे ही निकलते हैं इसलिए इसकी जाँच हेतु रक्त पट संग्रह रात मे ही किया जाता है।