– आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कर रही है कुष्ठ रोगियों की खोज
बेतिया। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार जिले में कुष्ठ रोगियों की खोज हेतु अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान 28अगस्त तक चलेगा। इस दौरान आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज करेंगी। वही संभावित कुष्ठ रोगियों को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या सदर अस्पताल जांच कराने के लिए भेजेंगी।
इस सम्बन्ध में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि जिले के 18 प्रखंडों के सभी पीएचसी में कुष्ठ रोगों के लिये क्लीनिकल जांच की सुविधा उपलब्ध है। जांच में कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर वैसे मरीज को छह माह से एक साल तक दवा का सेवन करना होगा। जिला कुष्ठ नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एन के प्रसाद ने बताया कि जांच में कुष्ठ की पुष्टि होने के बाद दवा का सेवन नहीं करने वाले मरीज अपंगता का शिकार हो सकते हैं। कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए जिले में सुपरवाइजर के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को भी लगाया गया है।
आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कर रही है कुष्ठ रोगियों की खोज
एसीएमओ डॉ रमेश चंद्रा व डॉ दीपक कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्ति यदि किसी के साथ लंबे समय तक रहता, वह रोगी दूसरे का तौलिया, चादर आदि इस्तेमाल करता है तो इससे रोग फैलने का खतरा रहता है। श्रमिक वर्ग में इस तरह की संभावना रहती है। ऐसे में श्रमिकों को इस बात का ध्यान रखना होगा।
जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता और फैसिलिटेटर अपने पोषक क्षेत्र के सभी घरों में जाकर संभावित लोगों की पहचान कर जांच के लिए पीएचसी या सदर अस्पताल भेजेंगी। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रति कुष्ठ रोगी की खोज पर 200 रुपया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।
एसीएमओ ने बताया कि शरीर में कहीं पर सुन्नपन का अनुभव होना, उस स्थान पर हल्का दाग होना, पैर हाथ में झनझनाहट होना, अगर किसी में इस प्रकार का लक्षण है तो उसे कुष्ठ संभावित रोगी माना जाएगा। वहीं चिह्नित रोगियों को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की जाएगी।
कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण
-कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण शरीर -का कोई भी हिस्सा सुन्न होना
– स्पर्श महसूस न होना
– सुई या पिन चुभने जैसा महसूस होना
– वजन कम होना
– शरीर पर फोड़े या लाल व सफेद चकत्ते बनना, जोड़ में दर्द होना
– बाल झड़ना, त्वचा पर पीले रंग के घाव या धब्बे बनना आदि।