मोतिहारी। जहांगीर पूरी तरह स्वस्थ होकर भूटान जा रहा है, पर न सिर्फ परिवार की यादों को लेकर बल्कि टीबी पर पूरी जानकारी लेकर भी। वह वहां उन भारतीय कामगारों के बीच टीबी को लेकर बातें करेगा, सचेत करेगा कि कैसे मशीनरी के डस्ट में काम करने और सही पोषण के बिना कोई भी टीबी से ग्रस्त हो सकता है। दो हफ्ते ही खांसी, बुखार, लगातार वजन का कम होना टीबी के सामान्य लक्षण है। अगर किसी में ऐसा लक्षण हो तो वह अपने देश जाकर मुफ्त में इलाज करा सकता है। जहांगीर को भी विश्वास नहीं हुआ था जब उसे एक महीने से खांसी के साथ उसका वजन लगातार कम होने लगा था। क्षेत्रीय स्तर पर अनेक तरह का उपचार कराया पर उसे किसी से कोई लाभ नहीं मिला।
परिवार वालों ने कराया बात
चिरैया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित मेडिकल ऑफिसर डॉ अफजल ने बताया कि जहांगीर के एक परिजन ने पीएचसी आकर बातचीत करायी। बातचीत जहांगीर ने कहा था कि उसे एक महीने से खांसी और थकान रहती है। लक्षण के आधार पर मैंने उसे यहां आकर इलाज कराने को कहा। उसके आने पर उसका बलगम जांच और एक्स रे हुआ। जांच में टीबी की पुष्टि हुई।
निजी चिकित्सक से नहीं मिली संतुष्टि
जहांगीर ने बताया कि टीबी होने पर उसने सोचा कि क्यों न निजी चिकित्सक से दिखाया जाए। पर निजी चिकित्सक से उसे कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद वह फिर से सरकारी अस्पताल जाकर डॉ अफजल से मिला और अपना इलाज कराने लगा। दो माह दवा सेवन के बाद ही उसे काफी राहत महसूस हुई। जहांगीर ने बताया कि दवा के साथ संतुलित भोजन भी उसके लिए लाभप्रद रहा। उसका वजन भी अब सामान्य हो चुका है। छह महीने की दवा के बाद वह अब बिल्कुल ठीक है।जहाँगीर सिर्फ़ टीबी को मात देने में ही सफ़ल नहीं हुआ है, बल्कि टीबी के बारे में उन्हें जानकारी हासिल करने में भी सफ़लता मिली है। यह जानकारी उसे भूटान में कार्य कर रहे अपने जैसे कई अन्य मजदूरों के लिए भी कारगर साबित होगी।