मोतिहारी। पूर्वी चम्पारण के सीएस डा. अंजनी कुमार ने बताया कि मिट्टी, पानी और वातावरण के कारण बच्चे और बड़े दोनों में हुकवर्म, टैप वर्म व अन्य प्रकार के कृमि हो सकते हैं। उन्होंने शुक्रवार को जिला स्वास्थ्य समिति से प्रचार गाड़ी को रवाना करते हुए बताया कि कृमि के कारण बच्चों में कुपोषण, खून की कमी, थकावट, मानसिक विकास में कमी हो जाती है। इनसे बचाव के लिए साल में दो बार कृमि की दवा खानी चाहिए, ताकि सेहत अच्छी रह सके।
7 नवंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा व डीसीएम नन्दन झा ने बताया कि 7 नवंबर को कृमि मुक्ति दिवस पर एवं 11 नवंबर को मॉप अप राउंड आयोजित किया जायेगा। जिसमें स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के जिले के 30 लाख 30 हजार 409 बच्चों को गोली खिलाई जाएगी।
कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक
डॉ शर्मा ने बताया कि स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रो में बच्चों को एक अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। वैसे बच्चे और किशोर जो स्कूल नहीं जाते हैं उनपर भी विशेष फोकस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पेट में कृमि होने से बच्चों को कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए।
कृमि के कारण समस्या
कृमि के कारण बच्चों को पढ़ने में मन नहीं लगता है, वहीँ खाने में रूचि घटने लगती है, जिससे शरीर में भोजन नहीं लगेगा। अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया के शिकार होने से बच सकते हैं। मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है। बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। डीआईओ ने कहा कि अभियान की सफलता को लेकर सभी सरकारी विद्यालयों एवं ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पोस्टर, बैनर, पंपलेट और माइकिंग आदि के माध्यम से प्रचार प्रसार कराया जाएगा। जिससे कोई भी बच्चा यह दवाई खाने से छूट ना पाए।
उल्टी या मिचली महसूस होने पर घबराएँ नहीं
यदि दवा खाने के बाद उल्टी या मिचली महसूस होती है तो घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़े ज्यादा होने पर दवा खाने के बाद सिरदर्द, उल्टी, मिचली, थकान होना या चक्कर आना महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दवा खाने के थोड़ी देर बाद सब ठीक हो जाता है।