•डॉ. अजय की सफलता ने कई चेहरों को दी मुस्कुराने की वजह
•संघर्ष की उबड़-खाबड़ सड़क को मेहनत से किया समतल
•शोध, कला एवं संवाद को बनाया मुश्किलों से लड़ने का हथियार
पटना: ‘‘ कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता. एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों’. दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियाँ सिर्फ हौसलों को पंख नहीं देती, बल्कि अंधेरों से लड़ने के लिए उजालों की उपस्थिति का भी बखूबी एहसास दिलाती है. नवादा जिले के सिरदला प्रखंड के गुलाब नगर गाँव निवासी पिता स्वर्गीय राज कुमार प्रसाद सिंह, माता स्वर्गीय पार्वती देवी के पुत्र डॉ. अजय कुमार सिंह की जीवन यात्रा भी दुष्यंत कुमार की इन्हीं पंक्तियों से उद्वेलित मालूम पड़ती है.
आज डॉ. अजय कुमार सिंह ने कई चुनौतियों को अवसर में बदलकर सहायक निदेशक सह जिला संपर्क अधिकारी का पद हासिल किया है. ‘‘ आज अपनी सफलता पर मैं खुश हूँ. मेरी सफलता ने कई ओठों को मुस्कुराने का एक वजह दिया है. वहीं कई आँखों में उम्मीद की एक ऐसी लकीर उकेरी है जो कभी धुंध में खोने सी लगी थी’’. यह कहते हुए डॉ. अजय के चेहरे पर ख़ुशी एवं अतीत के यादों की छाया दोनों स्पष्ट दिखती है.
संवेदानाओं का साक्षी बनना जरुरी
डॉ. अजय ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके जीवन की सफलता में विपश्यना ध्यान की बहुत बड़ी भूमिका रही है. ध्यान के जरिए उन्होंने दो बहुत महत्वपूर्ण बात अनुभव करने का मौका मिला. पहला यह कि संवेदना अच्छी हो या बुरी हो दोनों के प्रति साक्षी रहना जरुरी है. दूसरी बात यह कि समय अच्छा हो या बुरा हो दोनों देर या सवेर ख़त्म होंगे ही. इसलिए दोनों के प्रति अशक्ति या द्वेष निर्थक है. डॉ. अजय के मुताबिक यह उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का सूत्रधार बना. यही वजह है कि वे अपने संघर्ष की उबड़-खाबड़ सड़क को समतल करने में सफ़ल होते रहे.
अपनों ने कही दिल की बात
डॉ. अजय की पत्नी अनामिका यादव जो पटना के प्रसिद्ध लोयला हाई स्कूल में वरीय शिक्षिका हैं. वह कहती हैं कि डॉ.अजय की सफलता की पहली खबर उन तक ही पहुंची थी, जिसे सुनकर वह कुछ पल के लिए भाव विह्वल होकर स्तब्ध हो गयी थी. यह सफलता उनके लिए काफ़ी मायने रखता है. उनका कहना है कि वह अपने पति को एक मजबूत एवं अडिग व्यक्ति के रूप में शुरू से ही देखते रहीं हैं. आज अपने पति की सफलता का वह अपने बच्चों एवं परिवार के साथ आनंद ले रही हैं.
डॉ. अजय के अभिभावक राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, जो एक सेवानिवृत प्रधानाध्यपक हैं, ने भी इस सफलता पर ख़ुशी जाहिर की है. उनका कहना है कि डॉ. अजय की सफलता ने उन्हें काफ़ी ख़ुशी एवं गर्व करने का मौका दिया है. उन्होंने डॉ. अजय से अपने कार्य के प्रति पूरी ईमानदारी बरतने की सलाह दी. साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की भी कामना की.
वहीं, डॉ. अजय के बड़े भाई डॉ. प्रभास रंजन, जो पटना के एक मशहूर बाल रोगी चिकित्सक है, एवं दूसरे बड़े भाई आनंद प्रकाश, जो झारखंड के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यपक है, ने भी डॉ. अजय को उनकी सफलता की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि अनुज भाई की सफलता से उन्हें अपार ख़ुशी हो रही है एवं आगे भी उन्हें सफ़ल होता देखना चाहते हैं.
दोस्तों ने भी दी बधाई
डॉ. अजय के बचपन के मित्र महेंद्र कुमार, जो बिहार सरकार में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, ने उनकी सफलता की खबर पर उन्हें बधाई दी हैं. वह कहते हैं कि डॉ. अजय उनके बचपन के मित्र है. उनके साथ वह काफ़ी लंबे समय से जुड़े रहे हैं. डॉ. अजय के हर सुख-दुःख में शामिल रहने वाले महेंद्र ने कहा कि उन्हें डॉ. अजय में शुरू से ही एक प्रशासनिक अधिकारी दिखाई देता था. शायद यही वजह है कि आज मेरा मित्र एक ऐसे मुकाम को हासिल किया है जिससे उन्हें सिर्फ ख़ुशी ही नहीं, बल्कि एक गर्व की भी अनुभूति हो रही है.
डॉ. अजय के नवोदय के मित्र रंजीत, राजेश कुमार, मनोज, अनूप, अमित, श्रीकान्त एवं तरुण ने भी हर्ष जताते हुए कहा कि उन्हें मालूम था कि डॉ. अजय एक दिन एक बड़ी सफलता जरुर हासिल करेंगे. तरुण, जो कोल इण्डिया, धनबाद में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं, ने अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि नवोदय विद्यालय की तरफ से 9वीं क्लास में उनलोगों को नवादा से कर्नाटक नवोदय विद्यालय एक साल के लिए जाने का मौका मिला था.
जिसमें उनके साथ डॉ. अजय भी थे. तभी से तरुण एवं डॉ. अजय की दोस्ती और गहरी होती गयी. उन्होंने डॉ. अजय की सफलता में उनका अथक प्रयास, दृढ संकल्प एवं कभी भी हार न मानने की आदत को सहयोगी बताया. इसके साथ ही डॉ. अजय के कई अन्य मित्र भी लगातार उन्हें उनकी सफलता की शुभकामनायें दे रहे हैं.
डॉ. अजय का ऐसा रहा है सफ़र
नवोदय विद्यालय से होकर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने की शैक्षणिक यात्रा ने डॉ. अजय को अपना लक्ष्य निर्धारित करने का अवसर दिया. डॉ. अजय ने ऐसे तो शुरुआत से ही प्रशासनिक पद पर कार्य करते हुए लोक कल्याण का मंसूबा बना लिया था. यही कारण है कि जन संचार स्थापित करने की अपनी अद्भुत प्रतिभा को डॉ. अजय ने तरजीह देते हुए मास एंड कम्युनिकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया.
उनकी उच्चतम पढ़ाई पीएचडी की डिग्री है. इन्होंने अपनी सारी शिक्षा केंद्रीय संस्थानों से प्रतियोगिता परीक्षा पास कर के हासिल की. वर्तमान में यह अपनी सेवा शिक्षक के रूप में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर स्थापित स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में दे रहे हैं. साथ ही पटना कॉलेज में भी अतिथि शिक्षक के रूप क्लास लेते हैं. इससे पहले दिल्ली के इंद्र प्रस्थ यूनिवर्सिटी में भी बतौर शिक्षक अपनी सेवा दे चुके हैं.