पटना। “उमड़ते सौ करोड़” एक विश्वस्तरीय अभियान है जो 2013 में शुरू हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य औरतों और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकना है, संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार विश्व में सौ करोड़ महिलाऐं हिंसा की शिकार हैं या हिंसा के डर से जी रही हैं।
रात में जब महिला तथा किशोरी काम से वापस या पढाई कर के घर वापस लौट रही होती है तो वह स्वयं की सुरक्षा समाज के सवालों की चिंता करती रहती हैं, उनके जेहन में चल रहा होता है कि घर कैसे पहुंचेंगी, रस्ते में कई मुश्किलें तो नहीं होंगी तथा घरवालों के हजारों सवालों का सामना करना पड़ेगा कि देर कैसे हो गई।
मुख्यतः हमारे यहाँ लोगों का सोच बना है कि रात के समय महिलाओं तथा किशोरियों का घर से निकलना सही नहीं क्योंकि रात के समय सड़क पर ज्यादा पुरुष रहते हैं अगर महिलाओं की संख्या भी ज्यादा रहेंगी तो महिलाऐं और किशोरियाँ का झिझक भी टूटेगा शाम के समय घर से निकलने के लिए तथा इसपर पुरानी परम्पराए और लड़कियों एवं महिलाओं पर बेतुकी पाबंदियां कम होंगी।
रजनी जी ने महिलाओं तथा किशोरी से संवाद किया कि अगर हमारी संख्या भी रात के समय सड़क तथा बाज़ार में ज्यादा होगी तो हमारी महिला तथा किशोरी भी बिना डर के अपने मन के हिसाब से बाहर घूम पाएंगी, रात में निकलने के बहाने से महिलाऐं जो अपना अवसर प्राप्त करने में पीछे रह जाती हैं उनसे वो आजाद होंगी।
महिलाओं तथा किशोरी ने कैंडल मार्च में शामिल होने के बाद अपने अनुभव में कहा कि हमें बहुत अच्छा लगा यहाँ आकर वैसे तो इस समय हमारा पूरा ध्यान रात का खाना बनाने तथा बच्चों की पढाई पर रहता है इस समय कभी बाहर निकलने का सोचते भी नहीं है और इतना काम रहता है कि क्या निकलेंगे, किशोरियाँ ने कहा कि सब लोग के साथ थे तो हम लोग को डर भी लगा और कोई कुछ बोलेगा भी नहीं।