सावधानी हटी, दुर्घटना घटी कब जनता को समझ में आएगी
डुमरांव. आजकल समाज में व्यक्ति का जीवन इतना गतिशील हो चुका है कि उसे ठहराव तो पसंद नहीं है. भारतीय रेलवे जागरूकता अभियान चलाकर नागरिकों को रेलवे फाटक बंद होने के उद्देश्य को हमेशा समझाती है, किंतु व्यक्ति का जीवन इतना सक्रिय हो चुका है कि वह रेलवे फाटक पर एक मिनट रुकना पसंद नहीं करते है.
प्रशासन के तरफ से अनवरत जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे संकट ना आए, इस पर अनुमंडल प्रशासन की सक्रियता दिखता रहता है, किंतु व्यक्ति अपने जीवन को संकट में डाल रेलवे फाटक पार की जल्दीबाजी करते अक्सर देखे जाते है. प्रतिदिन रेलवे फाटक को नियम के विरुद्ध पार करते राहगीरों को देखा जाता है.
अक्सर यह राहगीर रेलवे फाटक बंद करने वाले कर्मचारियों से भी तू-तू, मैं-मैं कर लेते हैं. जबकि रेलवे फाटक इंसान की सुरक्षा के लिए बनी हुई है. लेकिन प्रतिदिन दुर्घटनाओं के बावजूद व्यक्ति हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर रेल को आते देखने के बावजूद अपनी मोटरसाइकिल से रेलवे फाटक अक्सर पार करते देखे जाते हैं, जो आम नागरिकों के जीवन के लिए उचित नहीं है.
कुछ उपस्थित लोग राहगीर से आग्रह करतै है कि अब सक्रिय को इतना भी गतिशील ना बना दें कि जीवन संकट में पड़ जाए. सामाजिक कार्यकर्ता उमेश कुमार गुप्ता, राजीव सिंह, मनीष कुमार शशि विमलेश सिंह, दीपक यादव, डा भास्कर मिश्रा, आदि ने रेलवे फाटक पर नियम पालन करने की सलाह राहगीरों को दी.
आजकल अक्सर सुना जा रहा है कि रील बनाते समय, फोटो खींचने के चक्कर में, वीडियो बनाने के समय, दो पहिया वाहन चलाते समय, प्लेटफार्म पार करते समय इंसान दुर्घटना के निकट पहुंच रहा है, मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. उसे भारतीय रेलवे के फाटक नियम का पालन करना सीखना चाहिए.