मिशन इंद्रधनुष 5.0 में पोलियो की खुराक लेने वाले बच्चों को भी दी जाएगी पल्स पोलियो की खुराक
डिशनल डोज है पल्स पोलियो की खुराक, नियमित टीकाकरण से कोई लेना देना नहीं
नियमित टीकाकरण में पोलियो की खुराक लेने वाले बच्चों को भी दी जायेगी दवा
पल्स पोलियो अभियान में पांच साल तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
बक्सर, 06 नवंबर | जिले में 10 से 20 नवंबर तक 10 दिवसीय पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत की जाएगी। जिसको लेकर जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस बीच पर्व त्योहारों को देखते हुए विभाग ने अभियान की अवधि बढ़ाई है। इस क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति ने सभी जिलों से दो दिनों के अंदर अभियान के लिए माइक्रो प्लान बनाकर समर्पित करने का निर्देश दिया है।
ताकि, पल्स पोलियो अभियान के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी न उत्पन्न हो सके। हालांकि, जिले में मिशन इंद्रधनुष 5.0 के तहत दो चक्र पूरे कर लिए गए हैं। जिसका तीसरा चक्र 27 नवंबर से दो दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में पोलियो की खुराक को लेकर अभी भी कई ऐसे अभिभावक उहापोह की स्थिति में हैं। उनका मानना होता है कि मिशन इंद्रधनुष 5.0 के दौरान उनके बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है।
उसके बाद पल्स पोलियो अभियान के दौरान खुराक लेना अनिवार्य है या नहीं। ऐसे में विभाग ने उन लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी हैं। इस संबंध में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो की खुराक शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए एक एडिशनल डोज है। इसका मिशन इंद्रधनुष से कोई लेना देना नहीं है।
यदि मिशन इंद्रधनुष में एक दिन पहले भी पोलियो की खुराक दी गई हो तो बच्चे को अगले दिन पल्स पोलियो अभियान के दौरान वो खुराक देना अनिवार्य है। जिससे बच्चे के पोलियो की चपेट में आने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
पोलियो है संक्रामक बीमारी
डॉ. सिंह ने बताया, पोलियो बहुत ही संक्रामक बीमारी है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से या फिर उनके छींकने या खांसने से हवा में फैली संक्रमित बूंदों को सांस के जरिये अंदर लेने से फैलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंतों, श्लेम (म्यूकस) और लार में पाया जाता है। पोलियो की बीमारी एक वायरस की वजह से होती है।
संक्रमित भोजन, पानी, या हवा में मौजूद संक्रमित बूंदों को मुंह के जरिये अंदर लेने से यह बीमारी फैलती है। पोलियो का वायरस आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों को इसमें केवल फ्लू के हल्के लक्षण ही महसूस होते हैं, मगर पोलियो की वजह से लकवा हो सकता है और ज्यादा गंभीर हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
बच्चों को, खासकर कि पांच साल से कम उम्र वालों को यह बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, मगर पोलियो का टीका बच्चे का इस बीमारी से बचाव कर सकता है।
लाइलाज है पोलियो की बीमारी
डॉ. सिंह ने बताया, विस्तृत रूप से चलाए गए पोलियो टीकाकरण अभियान की बदौलत भारत को एक पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया जा चुका है। पोलियो मुक्त देश बनाए रखने के लिए हमें सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगवाना जारी रखना होगा। जिन बच्चों को पोलियो का टीका नहीं लगता,
उन्हें यह बीमारी होने का खतरा अभी भी है, क्योंकि यह संक्रमण हमारे आसपास से पूरी तरह मिटा नहीं है और अब भी आसानी से फैल सकता है। जिन संक्रमित लोगों में पोलियो के लक्षण सामने नहीं आते, वे तब भी यह संक्रमण दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। इसलिए अगर वे ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आएं जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया है, तो उन्हें भी यह इनेक्शन हो सकता है।