बक्सर लोकसभा का इतिहास : चेहरे पर विजयी होते है प्रत्याशी : इस बार क्या होगा ?
डुमरांव. बक्सर लोकसभा में प्रत्याशी नहीं, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के चेहरे पर प्रत्याशी की जीत होती है. 30 वर्षो का इतिहास यह स्पष्ट करता है. 1996 में पहली बार भाजपा प्रत्याशी स्व. लाल मुनि चौबे जीत हासिल किया. बता दें चार बार लोकसभा बेहतर मत से जीत हासिल करने के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी सहित अन्य राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के चेहरे को देखते हुए लोगों ने मतदान किया.
वहीं 2009 में राजद के जगदानंद सिंह विजयी हुए. पुनः 2014 में भाजपा के अश्विनी चौबे ने केंद्रीय नेतृत्वकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विजय हासिल किया. वहीं इस दौरान पांच साल राजद के प्रत्याशी रहें जगतानंद सिंह भी अपने पार्टी के नेतृत्वकर्ता राजद सुप्रिमो लालू प्रसाद के चेहरे पर विजय हासिल की.
लगभग तीन दशकों में अभी तक बक्सर लोकसभा में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व करने वाले चेहरा देखकर लोग समर्थित प्रत्याशी को मतदान करते है. इस बार अभी एनडीए समर्थित भाजपा के मिथिलेश तिवारी, आइएनडीआईए समर्थित राजद के सुधार सिंह, जो जगतानंद सिंह के पुत्र है, मैदान में है. इसके अलावे बीएसपी से अनिल कुमार चुनाव मैदान में मेहनत कर रहें है.
पूर्व मंत्री सह विधायक ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान दो बार लोकसभा चुनाव में दुसरे नंबर पर रहें है. इसको लेकर वह भी चुनाव मैदान में मजबूत दिख रहें है. आईपीएस आनंद मिश्रा मिश्रा लगातार युवा सहित धीरें धीरें अन्य लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब होते दिखें. हालांकि लोकसभा चुनाव में अभी तक एनडीएम या आइएनडीआइए समर्थित प्रत्याशी को केंद्रीय नेतृत्व के चेहरे के भरोसे चुनाव मैदान में विजयी होने के लिए लगातार लोकसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहे है.
लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत डुमरांव, ब्रह्मपुर, बक्सर, राजपुर, रामगढ़ और दिनारा आता है. पूर्व सांसद स्व लालमुनि चौबे 1996 से लगातार 2004 तक सांसद रहें. वहीं 2009 में राजद के जगदानंद सिंह और 2014 से भाजपा के अश्विनी चौबे सांसद थे. इस बार पार्टी ने टिकट काटते हुए गोपालगंज जिला अंतर्गत बैकुंठपुर निवासी मिथिलेश तिवारी को सिबल देकर लोकसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा में भेजा है.
बता दें कि इस लोकसभा में भाजपा को 6 बार, तो कांग्रेस 5 बार सफल रहा है. पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन समय बदलने के साथ इतिहास बनते जा रहा है. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण के हिसाब से ब्राह्मण तथा यादव की बहुलता है. वहीं राजपुत वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है. लेकिन अनुसूचित जाति अति पिछड़ा की भी संख्या कम नहीं है. इनका मत हासिल करने के लिए सभी पार्टिया पूरा जोर लगाती है.