छठिया पोखरा सहित विभिन्न घाट पर व्रती व परिजनों से रहा गुलजार, उदयीमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ चारदिवसीय अनुष्ठान संपन्न
डुमरांव. लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पर्व पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दिन भर उपवास रहकर व्रतियों ने शा में पहला अर्ध्य दिया. शनिवार को व्रतियों ने खीर-रोटी और पुड़ी का भोग लगाया. साथ ही सपरिवार सुख, शांति और समृद्धि की कामना की.
रविवार को छठिया पोखरा स्थित घाट पर व्रतियों द्वारा अस्ताचलगामी और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन होगा. छठ व्रती अपने परिजनों के साथ छठ गीत गाते हुए रंग-बिरंगे परिधान पहन छठिया पोखरा सहित विभिन्न घाटों पर पहुंच अस्ताचलगामी सूर्य को पूजा-अर्चना कर परिजनों के साथ अर्ध्य दिया.
एक मान्यता के अनुसार ऐसा कहां जाता है कि जो भी सुहागिन महिला छठ के मौके पर अपने माथे पर जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं, छठ मैया प्रसन्न होकर उसके सुहाग को और भी लंबी उम्र प्रदान करती हैं. इसी से सुहागिन महिलाएं छठ के मौके पर नाक से लेकर माथे तक भरपूर सिंदूर लगाती हैं.
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी मोहन मिश्रा कहते हैं कि संतान की कामना करने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया को भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है. मान्यता है कि छठ महापर्व में छठी मैय्या व भगवान सूर्य की पूजा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है.
डुमराँव. अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार “चैती छठ” के महापर्व के प्रात: भगवान भाष्कर का अर्ध दिलाया, साथ ही स्वयं भी भगवान भाष्कर का “अर्घ समर्पित” कर अपने डुमराँव वासियों के “उन्नित और स्वस्थ जीवन” के लिए मंगलकामना किया. इसके साथ ही “पहले मतदान फिर जलपान के इस “स्लोगन को चरितार्थ” कराने हेतु 01 जून को 2024 अपने-अपने घरो से निकलकर “लोकतंत्र के मजबूती व खुबसुरती” के लिए अधिक से अधिक संख्या मे मतदान करने के लिए आग्रह भी किया.