देवताओं को ध्यान लगाना पड़ता है, ब्रम्ह को ध्यान लगाने की कोई आवश्यकता नहीं : गंगा पुत्र

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डुमरांव/सिमरी : हमारा सनातन धर्म सबसे पुराना सबसे अच्छा है, इसी के द्वारा ब्रम्ह को जाना जा सकता है। उक्त बातें श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रवचल के दौरान गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने कहा. उन्होने कहां कि 95 हजार करोड़ वर्ष पुराना सनातन धर्म है, लेकिन पहले धर्म को जानो तब ब्रम्ह को जाना जा सकता है। सीधे ब्रम्ह को जानना चाहेंगे तो, अध कचरे में रह जाओगे या सती की तरह जल के मरना पड़ेगा।

जैसे आप घर में रोटी बनाते है उसको बेल कर अगर सीधे अग्नि में डाल दोगे, तो या तो जल जाएगी या अधकची रह जायेगी। उसी प्रकार बिना धर्म को जाने ब्रम्ह की इच्छा करोगे तो, सती की तरह जलना पड़ेगा। भगवान शिव ने जय सच्चितानंद जग पावन कह कर प्रणाम किया। लेकिन मैया के अंदर संदेह हो गया, अगर ये ब्रम्ह होते तो अपनी पत्नी को लता पताओं से पूछते, मेरी पत्नी कहा है। सती ने भगवान की पीछे से सीता का रूप धारण कर के गई, भगवान तुरंत पहचान गए, कहा बहोरी कहा बृषकेतु बिपिन अकेली फिरही केही हेतु।

ब्रम्ह और देवता में यही अंतर है, देवताओं को ध्यान लगाना पड़ता है। ब्रम्ह को ध्यान लगाने की कोई आवश्यकता नहीं। तब संकर देखही धरी ध्याना, सती जो किन्ह चरित सब जाना। ब्रम्ह को जानने के लिए संतो के पास जाना पड़ेगा, उनसे मंत्र लेकर भगवान को जाना जा सकता है। जैसे छोटे कीटाणु को देखने के लिए सुक्ष्म दरसी यंत्र का प्रयोग किया जाता है। वैसे ही भगवान को जानने के लिए मंत्र का प्रयोग किया जाता है और धर्म का मतलब ही है भगवान राम, कृष्ण, नारायण।

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