टीबी के नए मरीजों की खोज के लिए सुदूर ग्रामीण इलाकों में छह माह में चलाया जाएगा अभियान : सीएस

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बक्सर, 02 मई | प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत जिले में 2025 तक टीबी के संपूर्ण उन्मूलन को लेकर विशेष रणनीति तय की गई। सिविल सर्जन समेत जिलास्तरीय पदाधिकारियों ने बैठक कर अभियान में आशा, एएनएम व सीएचओ की भूमिका तय की। जिसका सख्ती से पालन कराया जाएगा। साथ ही, यह निर्णय लिया गया कि जिले में टीबी के नए मरीजों की खोज के लिए चिह्नित इलाकों मे तीन माह में खोजी अभियान चलाने के साथ साथ प्रत्येक छह माह में सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी खोजी अभियान चलाया जाएगा।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि जिले में टीबी को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है। इसके लिए जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरर्स पर पीआरआई, जीविका दीदी, आशा, एएनएम और ससीएचओ के द्वारा लगातार गतिविधियों का आयोजन कराया जाए। एचडब्ल्यूसी पर आयोजित होने वाले आरोग्य दिवस के दिन गर्भवती महिलाओं की टीबी स्क्रीनिंग की जाए। साथ ही, आरबीएसके की मोबाइल टीम के द्वारा स्कूलों व आगनबाड़ी केंद्रों पर जागरूकता अभियान के साथ साथ बच्चों की टीबी स्क्रीनिंग की जाएगी।

टीबी मरीज की पुष्टि होने पर मिलेंगे 500 रुपए

बैठक में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने कहा कि टीबी मरीज की खोज में फ्रंट लाइन वर्कर्स की भूमिका सबसे अहम है। फ्रंट लाइन वर्कर्स द्वारा टीबी के लक्षणों की पहचान कर उन्हें जांच के लिए रेफर करना है। जांच में यदि मरीज में टीबी की पुष्टि होती है तो उन्हें 500 रुपए की राशि प्रथम सूचक के रूप में दी जाएगी।

साथ ही, सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित होने वाली ओपीडी सेवा के चार प्रतिशत मरीजों को भी जांच के लिए रेफर किया जाना है। जिसकी निगरानी हेल्थ मैनेजर करेंगे। उन्होंने बताया कि जिले में ट्रूनेट से जांच के लिए मरीजों को जिला यक्ष्मा केंद्र, सदर अस्पताल, डुमरांव अनुमंडल अस्पताल तथा ब्रह्मपुर व सिमरी पीएचसी में रेफर किया जाएगा।

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टीबी उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी। अब टीबी उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

जिसके लिए प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की परिकल्पना सभी सामुदायिक हितधारकों को एक साथ लाने के लिए की गई है। इसके अलावा टीबी के प्रति प्रचार प्रसार को तेज और व्यापक किया जाएगा। जिससे लोगों तक जानकारी पहुंचे की जिले में टीबी का उपचार प्रभावी, सुलभ और नि:शुल्क है। बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह, डब्ल्यूएचओ के एनटीईपी कन्सल्टेंट डॉ. बिज्येंद्र कुमार सौरभ, डीपीसी कुमार गौरव समेत जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मचारी, एसटीएलएस व एसडीएस मौजूद रहें।

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