खसरा से बचाव के लिए बच्चों को अनिवार्य रूप से कराएं टीकाकृत : डीआईओ

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बक्सर, 25 मार्च | जिले के ब्रह्मपुर और नावानगर के बाद चौगाई प्रखंड में खसरा के लक्षण वाले बच्चों की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्त हो गया है। इस क्रम में सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा और जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह प्रतिदिन खसरा की निगरानी कर रहे हैं। इसके लिए जिले के सभी प्रखंडों में आशा कर्मियों के सहयोग से खसरा और रूबेला टीका से वंचित बच्चों को चिह्नित कर जल्द से जल्द उनको टीकाकृत किया जा रहा है।

साथ ही, प्रखंड स्तर पर एक टीम गठित कर टीकाकरण स्थलों का जायजा भी लिया जा रहा है। ताकि, कोई भी बच्चा टीके का लाभ लेने से वंचित न रह जाए। जिला प्रतिरक्षण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सभी चिह्नित बच्चों को टीकाकरण करने की प्रकिया जल्द पूरी कर ली जाएगी। साथ ही, फ्रंटलाइन वर्कर्स को निर्देश दिया गया है कि खसरा के टीके से वंचित बच्चों को नियमित टीकाकरण के दौरान नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अनिवार्य रूप से टीकाकरण कराया जाएगा।

मलिन बस्तियों और अनुसूचित जाति/जनजाति के मोहल्लों पर किया जा रहा फोकस

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, ब्रह्मपुर और नावानगर के पिछड़े इलाकों में बीते दिनों खसरा के मामलों की पुष्टि हुई। बीते दिन चौगाई प्रखंड में भी खसरा के लक्षण वाले बच्चे मिले। जिनकी जांच के लिए प्रखंड स्तर पर टीम गई और उन बच्चों का सैंपल लिया गया। गुरुवार को रिपोर्ट आने के बाद जिलास्तरीय टीम जाएगी।

जिसके बाद एहतियात के तौर पर जिले में अभियान चलाकर खसरा और रुबेला के टीकों से वंचित बच्चों को चिह्नित किया जा रहा है। हालांकि, अब तक जितने भी मामले आए हैं वो मलिन बस्तियों और अनुसूचित जाति/जनजाति के मोहल्लों में ही देखने को मिले हैं। जिसे देखते हुए ऐसे इलाकों पर विशेष ध्यान देते हुए निगरानी की जा रही है।

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बच्चों के लिए घातक है खसरा

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, खसरा रूबेला बच्चों में होने वाली बीमारी है। इस बीमारी में बच्चों के शरीर पर लाल रंग के दाने आते हैं। अगर बच्चों के शरीर पर लाल रंग के दाने या फोड़े फुंसी जैसे लक्षण दिखाई दे तो उसे नजरंदान न करें। क्योंकि की यह खसरा का लक्षण हो सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में संपर्क करें। अन्यथा यह बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है।

नियमित टीकाकरण के दौरान दिया जा रहा है टीका

सदर प्रखंड के बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया, पांच वर्ष के कम आयु के बच्चों को खसरा एवं रूबेला बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाता है। जो नियमित टीकाकरण में शामिल हैं। दोनों टीके नियमित टीकाकरण के दौरान ही बच्चों को लगाया जाता है। पांच साल के बच्चे को एमआर के दो टीके लगाए जाते हैं।

पहला टीका बच्चे के नौ माह पूर्ण होने पर दसवें महीने में लगाया जाता है। वहीं दूसरी खुराक 16 से 24 महीने के बीच पड़ता है। दोनों टीका देने पर बच्चा पूरी तरह समूर्ण प्रतिरक्षित हो जाता है। दूसरी ओर, नियमित टीकाकरण की निगरानी के दौरान बच्चों को दिए जाने वाले कार्ड की जांच भी की जा रही। जिससे कोई भी बच्चा इन टीकों से वंचित न रहे।

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