“एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत शिक्षिका सुषमा कुमारी ने किया 120 पौधों का रोपण, 103 वर्षीया वृद्धा ने भी लगाया पौधा

रियासी, जम्मू-कश्मीर। सरकारी माध्यमिक विद्यालय (GMS) कच्ची खेरा, तलवाड़ा की शिक्षिका सुषमा कुमारी ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व को सम्मान देने का प्रेरणादायक कार्य करते हुए 120 पौधों का रोपण किया। यह अनूठा अभियान समाज को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ-साथ मातृत्व के प्रति संवेदना से जोड़ने का प्रयास है।
इस अभियान की सबसे विशेष और प्रेरक बात यह रही कि एक लगभग 103 वर्षीया वृद्ध महिला ने भी अपने हाथों से पौधा रोपित कर इस पहल को आशीर्वाद दिया। यह दृश्य न सिर्फ भावुक कर देने वाला था, बल्कि हर पीढ़ी को इस पुनीत कार्य में शामिल होने का संदेश भी देता है।
शिक्षिका सुषमा कुमारी ने इस अभियान को महज विद्यालय या संस्थान तक सीमित नहीं रखा, बल्कि घरों-घरों जाकर माताओं की उपस्थिति में बच्चों से पौधारोपण करवाया। इस प्रयास का उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना और उन्हें अपनी मां के नाम एक जीवनदायी पेड़ समर्पित करने के लिए प्रेरित करना था।
सुषमा कुमारी का कहना है कि “मां जीवन की जननी होती है और पेड़ जीवनदाता, जब एक पेड़ मां के नाम लगाया जाता है, तो वह सच्चे अर्थों में प्रकृति और मातृत्व दोनों का सम्मान है।” उन्होंने बताया कि यह अभियान न सिर्फ हरियाली बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि समाज में भावनात्मक जुड़ाव और जिम्मेदारी का भी संदेश है।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी इस पहल की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास बच्चों में सकारात्मक सोच, नैतिकता और प्रकृति के प्रति प्रेम विकसित करते हैं। कुछ परिवारों ने संकल्प भी लिया कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे और हर साल अपने परिवार की महिलाओं के नाम पौधे लगाएंगे।
इस कार्यक्रम में न केवल महिलाएं, बल्कि पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग भी उत्साहपूर्वक शामिल हुए। हर घर के आंगन में लगाए गए पौधे भविष्य में एक हरित विरासत के रूप में विकसित होंगे।
शिक्षिका सुषमा कुमारी की यह मुहिम पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक भावनाओं का सुंदर संगम है। यह पहल दर्शाती है कि यदि एक शिक्षक भी ठान ले तो समाज में बदलाव की बयार ला सकता है।
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने पौधों की देखभाल का संकल्प लिया और शिक्षिका सुषमा कुमारी के प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। यह अभियान न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि एक हरित भविष्य की नींव भी है।