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आईएफए की गोलियां गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचाने में कारगर

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गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचाने के लिए दी जाती है आयरन फोलिक एसिड की गोलिया

आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लाभुक महिलाओं की कराई जाती है एनीमिया की जांच

बक्सर, 24 मई | जिले में मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने में एनीमिया सबसे बड़ा बाधक है। जिसको दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचाने के लिए प्रयासरत है। इस क्रम में एनीमिया से जंग में आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) की लाल गोली गर्भवती महिलाओं के लिए एक ढाल की तरह काम कर रहा है।

जो न केवल गर्भवती महिलाओं की एनीमिया की कमी को दूर करने में कारगर है, बल्कि गर्भस्थ शिशु के विकास में भी सहायक साबित हो रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के संयुक्त तत्वावधान में आशा कार्यकर्ताओं या आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से आईएफए की 180 गोलियां उपलब्ध कराई जाती है। जो उनकी आयरन की कमी को दूर करती है।

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया एक सामान्य स्थिति है, जिसमें उनके रक्त में हेमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है जो गर्भवती महिलाओं और उनके शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के कई कारण हैं,

मसलन खानपान में पोषक तत्वों की कमी, विटामिन बी-12 और फोलिक एसिड की कमी, और रक्त की हानिकारक निर्माण प्रक्रिया में अवरोध आदि। जिसकी पहचान के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर उपलब्ध है। साथ ही, प्रत्येक माह की 9वीं और 21वीं तिथि को प्रसव पूर्व जांच के दौरान एनीमिया की जांच कर उनको दवाइयां और परामर्श दी जाती है।

भ्रूण के विकास पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में 40% से ज़्यादा गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। माना जाता है कि एनीमिया का कम से कम आधा हिस्सा आयरन की कमी के कारण होता है। गर्भवती महिलाओं को अपनी और गर्भ में पल रहे बच्चे की पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त आयरन और फ़ॉलिक एसिड की ज़रूरत होती है।

गर्भावस्था के दौरान आयरन और फ़ॉलिक एसिड की कमी से मां के स्वास्थ्य, उसकी गर्भावस्था और भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, आयरन और फोलिक एसिड की खुराक के उपयोग से गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी और एनीमिया का खतरा कम होता है।

इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर में आयरन की कमी दूर करने और गर्भाथ्य शिशु को स्वस्थ रखने के लिए आईएफए (गुलाबी) की गर्भ ठहरने के 12 हफ्ते यानी तीन माह से लेनी शुरू कर देनी चाहिए।

सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने पर गंभीर एनीमिया के लक्षण

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि मातृ मृत्यु का एक प्रमुख कारण एनीमिया होता है, जिसे सही समय पर पहचान कर मृत्यु के संभावित कारण को कम किया जा सकता है।

गर्भवती महिलाओं में सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने पर गंभीर एनीमिया के लक्षण होते है। ऐसे गंभीर लोगों की सही समय पर पहचान कर उनका चिकित्सकीय प्रबंधन करना आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान खून की कमी को दूर करने के लिए आईएफए गोली का सेवन अनिवार्य माना जाता है।

वहीं, गर्भवती महिलाओं में खून की अत्यधिक कमी होने पर आयरन सुक्रोज का डोज लगाने की आवश्यकता भी होती है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी के कारण उच्च जोखिम प्रसव के मामलों की संभावना बढ़ जाती है

या फिर प्रसव के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती है। जिसको रोकने के लिए आशा कार्यकर्ताओं द्वारा एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं का नियमित फॉलोअप कराया जाता है। ताकि, उनके खानपान और रहन सहन पर नजर रखी जा सके।

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के लक्षण

  • थकान
  • सुस्ती
  • चक्कर आना
  • सांस की तकलीफ
  • हृदय धड़कन में तेजी

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